Tuesday, March 22, 2011

जब भ्रष्टाचार से मुलाकात हुई


हर देश में धन का बंटाढार किया जा रहा है, हर कोई अपनी अल्हड़ता में ही जी रहा है। क्रिकेट के मैदान से लेकर ऐसी कमरों तक हर जगह पैसों का बवंडर खड़ा कर लिया गया है। जिस तरह से आज देश में धन के ये कुबेर जो देश को बर्बाद कर उसका पैसा हजम करके बैठ गए हैं, वह कहीं न कहीं देश की बुनियाद को खोखला कर रहे हैं। आज जिस तरह से हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार आ गया है, उससे डर लगने लगा। यहां हर कोई परेशान है, लेकिन वह रात मुझे याद है, यह कल ही की तो है...जिसमें किसी ने मुझसे पूछ ही लिया कि तुम क्या कर रहे हैं । हां वह स्वप्न था, लेकिन काफी खौफनाक था। इसमें यह दिखाया गया है कि भ्रष्टाचार से कैसे निपटा जाए। इस भ्रष्टाचार पर कैसे नियंत्रण करा जाए। वह हमें भूत जैसा दिखाई दिया। मैं पहले तो डर गया, लेकिन फिर सोचा चलो इससे मुकाबला करके देख लिया जाए। लेकिन वहां भी हमसे नहीं रहा गया। क्योंकि मैंने जो देखा, शायद कोई और भी देखता तो वह दंग रह जाता। हां, मैं बिलकुल सही कह रहा हूं, क्योंकि उसने जो कहा वही सही है, वह भ्रष्टाचार था, जो मुझसे मिला था। मैंने उससे काफी इंतजा कि थी कि वह मुझसे मिले, आखिर वह मुझसे मिला। वह काले कलर का था। उसके दो चेहरे नजर आ रहे थे, एक सफेद कपड़े वाला था, दूसरा काले कपड़े वाला। उसकी नाक तीखी थी, और पैरों में बड़े-बड़े जूते पहन रखे थे उसने। उसकी शक्ल और बनावट देखकर मैं घबरा गया। मैं उससे डर गया। मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं... लेकिन तभी उसने मुझसे बात करना शुरू कर दी। उसने मुझे कहा कि मैं तुमसे ही मिलने आया हूं, मैं भ्रष्टाचार हूं। तो फिर मैंने पूछा कि तुम तो काफी खौफनाक हो। हां, मैं सुंदर भी हूं, लेकिन उसके लिए मुझे पलटना होगा। तब मैंने उससे पूछा कि आज आपने हमारे देश को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। हर किसी को आपने अपना गुलाम बना रखा है। हर कोई भ्रष्टाचार के कारनामे को अंजाम देने में लगा है। मैं देश का भला चाहता हूं, पर आप हमारी आंखों के सामने हमारे देश को खराब कर रहे हैं। भ्रष्टाचार थोड़ी देर तक सोचता रहा। वह बोला, आपने मुझे मारने के लिए कई दिखावे किए हैं, कभी अपने दिलों में झांक कर देखो, मैं वहां आ चुका हूं। वहां से जब तक नहीं हटाओेगे, मैं नहीं हट सकता हूं। तभी वह बोल पड़ा, क्यों मुझे मारने का प्रयास कर रहे हो, मैंने उसे कहा कि आखिर तुम चले क्यों नहीं जाते, उसने कहा कि मैं तो चला जाऊंगा, लेकिन लोग मुझे फिर से बुला लेंगे। तब मैंने उससे पूछा कि तुम हमेशा के लिए कैसे जाओगे, तो वह बोला अब बहुत देर हो चुकी है, मुझे हमेशा के लिए कोई नहीं भगा सकता है। तभी मैंने फिर सवाल दाग दिया, और उससे कहा कि तुम्हें सिंगापुर से तो निकाला गया है, हां उसने जवाब दिया। मैं वहां से आ गया, मगर यह भारत है, और यहां पर मेरे कई दोस्त हैं। जैसे लालच, विश्वासघात, झूठ यह सभी मिलकर मुझे बल प्रदान करते हैं। इनका भी राशन पानी मेरे कारण ही चलता है। इसलिए यहां से जाना संभव नहीं है। लेकिन मैंने उसे गुर्राते हुए कहा तो मैं तुम्हें यहां से कहीं दूर पहुंचा दूंगा , मैं तुम्हारा वध कर दूंगा। तो उसने जवाब दिया कि मेरे सामने आते ही तुम्हारा मन मुझसे प्रभावित हो जाएगा और तुम भी मेरे गुलाम हो जाओगे। मैंने उसे मुंहतोड़ जवाब दिया और कहा कि मैं ऐसा नहीं हूं। मैंने उस पर पत्थर फेंक दिया, पत्थर उसे लगा और लोहे से लोहा टकराने जैसी आवाज आई। इस पर वह खूब हंसा और बोला कि यह कोई नई बात नहीं है। कई लोग मुझ पर पत्थर मार रहे हैं, लेकिन मैं नहीं जाऊंगा, क्योंकि पत्थर मारने वाले मुट्ठीभर भी नहीं हैं और मेरे गुलाम करोड़ों में हैं। मुझे यहां अच्छा रिस्पॉस मिला है और मैं कतई नहीं इसे भुला सकता हूं। अब तो आप चाहे जो कर लो, मैंने तो इसे ही अपना घर मान लिया है। तभी वह कहीं ओझल हो गया, और मेरी नींद भी खुल गई। दिनभर मैं उसी के बारे में सोचता रहा, फिर मुझे पता चला कि शायद हम भ्रष्टाचार से अब नहीं निपट सकते हैं, क्योंकि यह हमारे भीतर आ गया है।

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