Wednesday, March 9, 2011

हर तरफ गुंडाराज


देश किस ओर करवट ले रहा है, लोगों में इतना खौफ कहां से आ गया है, इतना क्रोध क्यों किया जा रहा है। सुबह खुशी से निकलते हैं, लेकिन वापस घर नहीं आ पाते हैं। कभी अस्पताल नसीब हो जाता है, तो कभी श्मशान। न जिंदगी का भरोसा, न मौत का। कब, क्या, कहां, कैसे और आखिर क्यों? कुछ भी हो जाता है, लोग समझ ही नहीं पाते हैं, इससे पहले ही घटना को अंजाम दे दिया जाता है। न कानून का भय, न भगवान का भरोसा। लोग आतंकित हो गए हैं। डर यह भी सता रहा है कि आखिर जिंदगी को कैसे जिया जाए। क्योंकि यहां तो पल-पल में गोलियां चलती हैं, पल-पल में तलावरें निकल जाती हैं। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं, और पुलिस की धार कुंद पड़ी हैं। पर्दे के पीछे राजनीतिज्ञों का इनसे बेजोड़ गठजोड़ हैं, जिससे यहां अपराध पल रहा है। समाज बुरी तरह पतन की ओर जा रहा है, लेकिन समझाए कौन, बहलाए कौन। जिस तरह से सामाज में नए-नए घटनाक्रम आ रहे हैं, वह काफी दर्दनाक हैं, दिल को दहला देते हैं। दिल्ली हो या नोएडा, मुंबई हो या मप्र, या फिर बिहार... हर जगह अपराध को संबल दिया जा रहा है। शांति कहीं खो सी गई है। अपराधियों का वर्चस्व है। हालत दयनीय नहीं दर्दनाक और खौफनाक हो गई है। लोगों का जीवन दुश्वार हो गया है, बापू के अंहिसा पर चलने का मन किसी का नहीं हो रहा है, क्योंकि आज तो चैन से जीने ही नहीं दिया जा रहा है। परिस्थितियां बिलकुल विपरीत हैं, न कोई बचाव का ठिया है और न ही कोई सेफ जगह। जिसे देखो गुस्से में लाल पीला नजर आ रहा है, जिसके पास पैसा और ताकत है, वह आज शहंशाह है और बाकी सब फिसड्डी। अन्य तो ऐसे जी रहे हैं, मानों जीवन ही न हो। मर-मर कर तड़प-तड़पकर सिसक-सिसककर जिंदगी घिसट रही है। न तो जान का भरोसा सुरक्षा व्यवस्था दिला रही है और न ही सरकार को इससे कोई सरोकार है। दौलत में हर कोई अंधा हो चुका है और अपराधियों का चहुंओर राज है। जिंदगी विरानी हो गई है, ऐसे में अब लोगों के दिमाग पर विपरीत असर पड़ने लगा है। अब कोई अपने घरों में डॉक्टर या इंजीनियर बनाने की नहीं सोच रहा है, बल्कि वो लोग अपने बेटों को गुंडा बना देते हैं, ताकि समाज में उन्हें जीने का हक मिल सके। हालत बदतर हो गई, और मंथन करें तो कई चीजें दु:ख देने वाली हो गई हैं । जिस तरह से महिला दिवस पर एक लड़की को सरेआम गोली मारकर अपराधी भाग गया, वह दिल्ली पुलिस के साथ पूरे देश के लिए शर्म की बात है। वहीं नोएडा में अगले ही दिन पति-पत्नी स्कूटर पर जा रहे थे,मामूली रूप से किसी से विवाद हो गया और उन्होंने गोली मार दी। आखिर क्यों इतना गुस्सा हो गया है कि बात-बात में गोलियां निकल आती हैं। चल जाती है और जान चली जाती है। दोष किसका उस मां का, जिसने उसे जन्म दिया, या उस पुलिस व्यवस्था का जो उसे रोक नहीं पा रही है। या फिर उस सरकार का जिसने उसे रोजगार नहीं दिया, या फिर उन नेताओं का जो अपने हित साधने के लिए उन्हें मोहरा बना देते हैं। दोषी सभी हैं और सभी ने अपने फर्ज को नहीं निभाया है। नतीजा सबके सामने आ जाता है, हर घर में से एक गुंडा पैदा हो जाता है। क्यों ? सवाल बहुत हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि पुलिस क्या कर रही है, क्यों आसानी से हथियार उपलब्ध हो जाते हैं, वहीं से रोकना शुरू कर देना चाहिए। गुंडों को यूं ही क्यों छोड़ दिया जाता है, अगर उन पर सख्वत कार्रवाई की जाए तो यह नौबत ही न आए। आज समाज में गुंडाराज फैल गया है और अगर इसे कम नहीं किया गया तो कल इसकी पौध बढ़ जाएगी। हर घर से एक गुंडा निकलेगा और फिर यहां मचेगी मार-काट। खून बहेगा, खुद का भी और दूसरों का भी। सभ्य समाज का पतन हो जाएगा और धरती पर पानी की जगह लहू बहेगा। अभी भी समय है, इन दरिंदों को हवालात में पहुंचाकर सख्त सजा दी जानी चाहिए, अगर ऐसा करने में कामयाब हो गए तो कुछ हद तक हम इस पर बांध लगा पाएंगे। वरना सैलाब आएगा और सब कुछ बहाकर ले जाएगा।

No comments:

Post a Comment