Thursday, March 17, 2011

इडियट बॉक्स बांट रहा श्रद्धा


श्रद्धा का सैलाब उमड़ता है, और इस बंट रही श्रद्धा को पाने के लिए हर कोई बेकरार है। इडियट बॉक्स काफी सक्रिय हो गया है, इस श्रद्धा को बांटने में। वह कोई भी ऐसा मौका नहीं छोड़ रहा है, जिसमें कहीं न कहीं से धर्म और रहस्यों का मायाजाल बुना जा रहा है। हर तरफ बेवकूफ बॉक्स छाया रहता है, इसकी ‘शिकार’ कहना चाहिए कि वहीं लोग बने हैं, जो अपना पूरा समय घर में ही बिताते हैं, हां कुछ और हैं जो मजबूरी में देख लेते हैं। आज हर चैनल खबरों की सटिकता को भूल गया है और टीआरपी के पीछे कटार लेकर दौड़ रहा है। उसके दूसरे हाथ में कटार के साथ लॉलीपाप भी है, जो लोगों को भ्रामकता से अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। यह पूरा रचा बसा मायाजाल या कहें कि किसी चक्रव्यूह से कम दिखाई नहीं दे रहा है। सभी टीवी चैनलों में भविष्य सुनाया जा रहा है। यह भविष्य सत्यता की लकीर को कितना छू लेता है और उससे कितना पीछे रह जाता है, इस बात की किसी को कोई परवाह नहीं है, हां लेकिन भविष्य तो सुनना ही है। सदियों से हमारे इस मन को लोगों ने भावुकता के नाम पर ठगा है। वह हमें आए दिन बेवकूफ बना देते हैं,मूर्खता के उस लेवल तक पहुंचा देते हैं ,जहां से हम अच्छे बुरे की पहचान को ही मिटाने की कोशिश में जुटे रहते हैं। आज तक हो या फिर कोई और चैनल। हर किसी के पास दिन में एक ऐसी स्टोरी है, जिसमें भूतों का साया कहीं न कहीं से नजर आ ही जाता है। हां, पहले कुछ सीरियल जरूर बनते थे, लेकिन उनमें पूरी तरह से काल्पनिकता रहती थी, लेकिन यहां तो कुछ और ही दिखाई दे रहा है। अब हालात बदल गए हैं, या कहा जाए तो न्यूज पर काफी भरोसा रहता है, उनसे यह अपेक्षा लोगों को रहती है कि जैसा है, यह वैसा ही दिखा रहे हैं। क्योंकि खबरपालिका बहुत विश्वसनीय रही है। मगर उसे कुंद करके उस पर लोगों को छलने वाला माल परोसा जा रहा है। दर्शक भी जाने कौन सा आनंद या फिर कौन से भविष्य के लिए इन्हें देखने में हिचक तक नहीं ले रहे हैं। आज अगर चैनलों के पास भूतों के कार्यक्रम हैं तो बाबाओं की दुकानें भी काफी चमकी हैं। जिनके पास अनुभव की बाल्टी के साथ डिग्री का तराजु है, और इन सबके अलावा अगर वो थोड़े चेहरे मोहरे में भी दिख जाते हैं तो फिर बात बन गई। जीवन की नैया पार हो गई समझ लो। उन्हें टीवी चैनल फौरन ले लेते हैं और इस तरह लोगों को भविष्य का फैसला और उनकी समस्याओं को हल करने का दावा ठोंकते हुए पूरी शिद्दत से ठगने में लग जाते हैं। आज अगर देखा जाए तो जिस तरह से राशि बताई जाती है, लोगों को समस्या निवारण यंत्र बताए जाते हैं...उसमें कितनी सच्चाई है, यह खुद वो ही जानते हैं। जनता तो हर चीज पर भरोसा कर के धोखा खा रही है, लेकिन इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि उन्हें तो टीआरपी मिल ही रही है। और फिर इसके लिए कोई गाइड लाइन या फिर सेंसर तो नहीं है, जो इन्हें रोक सकें। सदियों से हमारे देश में यह मान्यता है कि भविष्य का फैसला ज्योतिष में होता है, और हर कोई अपने भविष्य को वर्तमान में जानना चाहता है, बस यही चाहत उन्हें इस तरह से मूर्ख बनाने में कामयाब रहती है। यहां गौर और करना होगा कि इस तरह से देश की जनता को कब तक मूर्ख बनाया जाएगा। चंद बाबा सीधे-सीधे लूट रहे हैं, और उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। मीडिया पूरी तरह से जनता को ठगकर अपनी दुकानदारी चला रहा है और पैसे बना रहा है। इन तरह की घटनाओं या कहें कि विपदाओं पर रोक लगानी चाहिए। इन्हें किसी न किसी तरीके से ब्रेक करना होगा। क्योंकि भविष्य की चाह में और श्रद्धा की आड़ में लोग करोड़ों रुपए कमा रहे हैं और लोग बर्बाद हो रहे हैं। इन सब पर नकेल कसना होगी, तभी स्वच्छ समाज के इन लुटेरों को नकाबपोश किया जजा सकेगा।

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