Sunday, October 17, 2010

अधर्मी रावण अभी और भी हैं...


लंबे समय के बाद हमने जीत का उल्लास भी मना लिया और रावण को जला भी दिया। निश्चय ही जब वह जल रहा था, उसमें से विस्फोट हो रहे थे तो हम खुश हो रहे थे, तालियां बजा रहे थे। जैसे ही उसमें से पटाखे की आवाज आती तो हमारा उत्साह चरम पर होता। जब तक वह जमींदोज नहीं हो गया, तब तक हम वहां से हटे नहीं, वहीं डटे रहे, घर से सोचकर ही आए थे कि आज रावण का वध करके ही आएंगे, उसे जलाकर ही आएंगे। यह सिर्फ आपने ही नहीं, बल्कि सैकड़ों भारतवासियों ने किया होगा। सवालों या किसी आडंबर में उलझने की बात नहीं है, क्योंकि यहां तो हमने तमाशबीनों की तरह उसे जलता देख लिया। इसके बाद घर आ गए, मगर क्या यह सोचा आपने कि आपने दिल में बैठी उस बुराई को जलाकर आए। हम बार-बार लगातार हर साल रावण का वध करते हेैं, सिर्फ यह संदेश देने के लिए कि हम लोग सत्य के मार्ग पर चले, बुराई को हरा दें और जीत का सेहरा अपने सिर बांध कर कांटों का मार्ग अपनाएं, फिर इसके लिए चाहे जितनी ही मुश्किलें क्यों न हमारे रास्ते में आ जाएं। अब अधर्म का नाश करना है, मगर संकल्प ले कौन। लोग रावण तो जलाते हैं, लेकिन उसके महत्व और उद्देश्य की पराकाष्ठा को नहीं जान पाते हैं। आखिर क्यों वे यह नहीं समझ पाते हैं कि दुनिया में यदि कुछ सत्य है तो वह है सच्चाई , भलाई। इस मार्ग का पथ बहुत ही कठिन है, बड़ी पतली डगर है, और रपट भी है, बस जीतना है और जीना है, अगर यह नहीं कर पाए तो आपका जीवन ही व्यर्थ है। सच्चाई कभी परास्त नहीं हो सकती है, यह परेशान हो सकती है, इसलिए कभी इसके दामने को कमजोर मत होने दो, जीवन में कई कठिनाइयां आएंगी , कभी तुम समुंदर में गोते भी लगाओगे और कभी तुम्हारा मुकाबला शैतानों से भी होगा , लेकिन पथ-पथ अग्निपथ समझो, और इसमें वीरता की तरह चलो। अर्जुन की तरह सिर्फ श्रेष्ठ धर्नुधरी ही न बनो, बल्कि कर्ण की तरह बुद्धिवाला, दानवीर और परमवीर बनो। वह मरकर भी अमर हो गया। पूरे पांडवों को अकेला ही मार सकता था, लेकिन कभी कृष्ण की बुद्धिपर भी गौर करो, क्योंकि यही वो रास रचैया है, जो महाभारत के युद्ध का परिणाम ही बदलने वाला है। राम की तरह आदर्शवाद लो, लेकिन मर्यादा की झूठी माला न पहनो, सत्य के लिए लड़ो, लेकिन मौके की नजाकत को भी समझो। यह समय कृष्ण की बुद्धि पर चलने वाला है, लेकिन राम की तरह वचन पर अडिग रहोगे तो वीरता तुम्हारी दासी हो जाएगी। दिल को निश्छल रखो, फिर देखो इस दिल से तुम दुनिया जीत लोगे। हर चीज का महत्व है, आज समाज में इतना कूड़ा-कचरा आ गया है कि जिधर देखो मन सड़ने लगता है , लेकिन उत्सुकता की उम्मीदोें को सिर्फ खुशबू की ओर बढ़ने दो, गुलाब की महक बनो, साथ में सच्चाई के कांटे बनकर, क्योंकि यही दुनिया की रीत है, सबसे बड़ी प्रीत है। कितनी भी बेइमानी करो, आगे सब आ ही जाती है। इसलिए अपने हौसलों और हिम्मत पर भरोसा करो, क्योंकि जब दूसरों के कंधों पर बंदूक रखते हैं तो उसकी मजबूती का हमें पता नहीं होता है, ऐसे में कंधे अगर कमजोर निकल गए तो निशाना जरूर चूक जाता है, और जिंदगी में सिर्फ एक शॉट ही रहता है , अगर वह हम चूक गए तो कभी मौका नहीं मिलता। इसलिए हर कार्य को तल्लीनता से करो, दुनिया तुम्हारी मुट्ठी में आ जाएगी। और इसके लिए तुम्हें न सिर्फ मेहनत करनी होगी, बल्कि बुद्धि का भरपूर उपयोग करना होगा । अगर यह करने में तुम कामयाब हो गए तो तुम्हारी आधी से ज्यादा जिंदगी की सफलता तुमने एक शॉट में ही जीत लिया। जिंदगी को क्रिकेट की तरह लो, क्योंकि एक गेंद तुम्हारा विकेट गिरा सकती है। वह एक से छह तक कोई भी हो सकती है। तुम्हें पल-पल हरपल हर गेंद को अपने अनुभव और जोश के तराजु में बैलेेंस कर खेलना होगा। और आपकी एक चूक आपको पवेलियन की राह दिखा सकती है, इसलिए हर समय जागरूक रहो, अलर्ट रहो , जिंदगी कब तुम्हारी दासी बनने आ जाए, उस समय तुम्हें जागना होगा, और उसे अपने पास सदा के लिए रखना होगा, क्योंकि एक बार वह चली गई तो दोबारा नहीं आती है। इसलिए सच्चाई का मार्ग अपनाओ, दिलों से भी रावण जला दो और प्रेम की मुरली बजाते चलो, सारा जग तुम्हारे पीछे-पीछे चला आएगा।

Wednesday, October 6, 2010

‘सोना’ से शान भी और सुकून भी



हर पीली चीज सोना नहीं होती, लेकिन उसका भ्रम जरूर करा देती है। रास्ते में कभी कोई सोने जैसी चीज दिखती है, तो कुछ पलों के लिए वह सोना लगता है, यह अलग बात है कि हमारी नियत कैसी है, जिस पर हमारा अवलोकन होता है...यह तो सब आई गई बात है, मुद्दा तो यह है कि हम पर सोना मेहरबान है, जी हम तो सोने वाले सोने की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि सोने वाले सोने की बात कर रहे हैं...आप भी सोच रहे होंगे कि क्या बकवास कर रहा है, सोना तो एक ही है, जो हमें पीला दिखाई देता है। हम उसे गले में पहनते हैं, और हमारे पलवान खूब सोना कर रहे हैं। मगर हमें तो दूसरा सोना पसंद है, हमें तो सोने में खूब सुकून मिलता है, वह सुकून जो किसी और चीज में आता ही नहीं। हमें भी वह सोना चाहिए और आपको भी वह सोना चाहिए। बाजार सोना उगल रहा है, उसमें उछाल भी खूब आ रही है, लेकिन हमारी जिंदगी की शुरुआत ही सोने से होती है, हमारे जीवन का तो सबसे बहुमूल्य ही है सोना। इसके बिना तो हम चल नहीं सकते। हां भला है, शृंगार है सोना, महिला का सरस और उसका दिल है सोना। उसका अरमान है सोना, जिंदगी से प्यारा है सोना। हर पहलवान जान लड़ा रहा है, लेकिन हमें तो घर में ही मिलता है सोना। खाने के बाद जो सोना मिलता है, उसके तो क्या कहने। ये पहलवान न जाने कितने प्रयास करते हैं, दिन-रात मेहनत करते हैं, मिट्टी झोंकते हैं, शूटर दिनभर रातभर आंखें दुखाते हैं, फिर जाकर कहीं इन्हें नसीब होता है सोना। जो सोना इनके पास है, वह इन्हें नसीब नहीं होता, लेकिन ये दूसरे सोने के पीछे जरूर पड़े रहते हैं। आखिर वह कहावत भी तो सही है हमें दूसरे की थाली का खाना ज्यादा अच्छा लगता है, उसकी थाली में कम खाना हो तब भी हमारी चाहत उसे पाने की होती है। ये लोग भी इससे अलग कैसे हो सकते हैं, हर कोई चाह रहा है कि हां हमें मिले सोना। पूरा देश विदेश...यहां तक की सात-सात फीट वाले गोरे रंग के ये विदेशी भी उसकी चाहत सात समुंदर पार से लेकर आए हैं, इनमें से कुछ को मिला है, कुछ को मिलेगा और कुछ के दिल भी टूट जाएंगे। हमारे यहां भी कुछ ऐसा ही होने वाला है, किसी की झोली में आएगा तो कोई चांदी से ही संतुष्ट रहेगा। मगर चांदी क्या चीज है...क्योंकि सोने की बात ही अलग है। हाय हाय सोना...शादियों से लेकर बारातों तक...त्योहारों से लेकर उत्सवों तक हर जगह तो चाहिए सोना। काश! हमें भी मिल जाए और हमारों वालों को भी मिल जाए...वाह-वाह...सोना सोना...हर कोई इस सोने के पीछे पड़ा है। नई दुल्हनें तो इसका बिना चलती ही नहीं। और हम हैं कि हमारे पास बिना तकलीफ के ही आ जाता है सोना। सोना माथे की शान होता है, लेकिन सोना शहंशाह भी बना देता है और अधिक सोना भोंदू भी बना देता है। तो हम तो आसानी से सोना आसानी से मिल जाता है। हमें भी तो सोना चाहिए...तुम्हें भी तो सोना चाहिए। हां आप भी सही कह रहे हो और हम भी...भई ये सोना ही तो जरूरी है, हम इसके लिए न बिस्तर देखते हैं, न जमीन। बस इसे लूटने में लग जाते हैं। और आप हैं कि इस सोने के लिए आप न जाने कितनों का खून बहा देते हैें। वहां तक तो ठीक है जब आप सोने के लिए मेहनत करते हैं, लेकिन सोने के लिए जब लाल खून बहता है तो फिर सोने का कोई अर्थ नहीं हो जाता है। सोना ...सोना...सोना...कितना चाहिए। चिंता और फिक्र के धुएं को उतारकर रख दो... फिर देखो इतना सोना मिलेगा कि दिल भर जाएगा। फिर बोलोगे कि सोना कितना सोना है..., कितना सोना है... कितना चाहिए और कितना मिलेगा, बस यह तो नियती और चाहत पर निर्भर करता है।

Tuesday, October 5, 2010

साधारण जीत को भी रोमांचक बना दी


अगर दुनिया में एक्साइटमेंट पैदा करना है तो या तो उन्हें हंसा दो , या रुला दो या फिर डरा दो...। अगर यह तीनों नहीं कर पाए तो असाधारण भी साधारण बनने में देर नहीं लगती है। दुनिया में बड़े लोगों को जाना क्यों जाता है, क्योंकि उन्होंने साधारण कार्य को भी असाधारण तरीके से अंजाम दिया है। उन्होंने गरीबी होने के बावजूद उसका प्रकट करने का पाप नहीं किया है, क्योंकि वह उससे भी शर्मनाक होता है। जिंदगी को जुए की तरह माना है, इसमें हर बाजी को जीतने के लिए बाजीगर बनना पड़ता है, अगर वह जिंदादिली नहीं दिखाई तो फिर इस भंवर में आप कहां समा जाते हो कोई नहीं जानता। खाते तो सभी हैं, लेकिन खाने का तरीका यूनिक जिसका होता है, उसे ही जाना जाता है। सोते तो सभी हैं, लेकिन जिन्हें जागने का शौक होता है, वे ही पहचाने जाते हैं, जागते तो मूर्ख हैं, लेकिन उनका जीवन तो व्यर्थ ही हो जाता है। जिंदगी की वैतरणी को अगर पार लगाना है, तो आपको आगे आना होगा । आपको दूसरों से बेहतर करना होगा। बाजार में मारा-मारी मची हुई है, हर कोई मैदान मारने के लिए तैयार है, नजर हटी और आपको कहां फेंक दिया जाएगा कोई नहीं जानता है। आज भी वही हुआ, हुआ यह कि हम जीत गए...हालांकि इस जीत को हम बहुत हल्के से भी कर सकते थे, लेकिन जहां इंडिया और उसका क्रिकेट है, फिर तो भावनाओं का सैलाब पटरी पर एक्सप्रेस बनकर दौड़ता है। जुनून जिंदगी से बढ़कर हो जाता है। और यहां वही हुआ। टीम आसानी से जीत सकती थी, लेकिन उस आसान जीत को हमने बना दिया टिपिकल...और ऐसा हुआ भी...। कंगारू बौखला गए और उन्होंने टीम इंडिया का जीना मुहाल कर दिया। एक-एक गेंद पर आग बरस रही थी, मैदान पर शेर दिखने वाले हमारे दिग्गज कागजों से मुरझाए नजर आ रहे थे। टीम इंडिया के सबसे कातिल बल्लेबाज जो गेंदों को मौत के घाट उतारते हैं, वो तो बिलकुल लापरवाह दिखे, लापरवाही की हद उस समय हो गई, जब टीम इंडिया संकट में नजर आ रही थी। एक के बाद एक विकेट गिरता जा रहा था, लेकिन बिगड़े नवाब थे कि सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे थे। उन्होंने अपने उसी लापरवाह वाले अंदाज में शॉट खेला और कंगारूओं द्वारा जप लिए गए। इसके बाद तो न रैना ने रनों की बरसात चली और न ही टीम इंडिया का गौरव बढ़ा। हर कोईअपने ही अंदाज में जी रहा था, चल रहा था, लेकिन परिस्थितियां विपरीत थीं और वह सचिन से काफी उम्मीदें भी थीं, मगर उम्मीद का दामन टूटा नहीं, सचिन से आस थी, पर क्रिकेट का यह पितामह हर बार तो विरोधियों पर भारी नहीं पड़ सकता था, इस बार कंगारूओं की चली और उन्होंने सचिन को अपना बना लिया। सचिन के आउट होने के बाद लगा कि टीम इंडिया फिर बिखर गई और हार हमारी पक्की है, लेकिन एक ऐसा गेंदबाज, जिसके सितारे एकाएक बुलंदी पर आ गए थे, वह इशांत शर्मा ...गेंदबाजी में अपना जौहर दिखाकर कंगारूओं की कमर तोड़ने के बाद अब वह बल्लेबाजी में भी अपना हुनर दिखाने को बेताब थे, और उनका यह हुनर ऐसे मौके पर आया, जब टीम को जरूरत थी कि कोई खड़ा होकर टीम की न सिर्फ लाज बचा पाए, बल्कि उसे जीत के मुंहाने तक भी पहुंचा दे। आखिर हुआ भी वही और उसने अपने बल्ले के दम पर खूब छकाया, उसने खूब परीक्षा ली और एक समय तो कंगारूओं को हताश ही कर दिया था। हार का गम पंगेबाज पॉटिंग के चेहरे पर साफ नजर आ रहा था, लेकिन एक गलत निर्णय के वे फिर शिकार हो गए, लेकिन लक्ष्मण थे मैदान पर और उन्होंने तो सीखा ही नहीं था कि युद्ध को बीच में ही छोड़कर जाया जाए। अंतिम दम तक वो लड़ते रहे और अपनी टीम को जीत दिलाकर ही लौटे। जीत भी ऐसी थी , रोमांच से भरी हुई। कब क्या हो जाता हर गेंद पर दर्शकों के लिए मनोरंजन चल रहा था।