Monday, January 3, 2011

छुपकर शादी का लड्डू खाया


कहते हैं मुहब्बत को कितना ही छुपाओ, लेकिन गालों का रंग ही मुहब्बत की दास्तां बयां कर देता है। क्योंकि यह रुमानी होता है और दिल की धड़कन के साथ ही शुरू हो जाता है। आशिकी की आवारगी में कई पेंच हो जाते हैं, और यह जीवन में कई बाधाएं खड़ी कर देती है। मुहब्बत तो छुपाना पड़ता है, क्योंकि इसमें कई पहरेदार खड़े रहते हैं और इनसे निपटने के लिए न जाने कितने दर्द सहने पड़ते हैं, इसके बावजूद इनका सितम कम नहीं होता है। यह सितमगर हैं और हर पल दर्द से बेहाल करते रहते हैं। जी जान से देखो तो दिल का मामला है, इस दिल में कई सुराग होते हैं, इन सुरागों पर कोई भी परख ढंककर रखो, यह सब बेकार सिद्ध हो जाते हैं। लेकिन शादी तो खुला एहसास है, इसके लिए तो कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। लेकिन आज सेलिब्रिटी अपनी शादी को रहस्य बनाकर रखते हैं। न जाने क्यों? शादी को इस तरह से रखा जाता है, देखा जाए तो आज शादी को एक नए खेल के रूप में देखा जा रहा है, उसका माखौल उड़ाया जा रहा है। एक समय था जब शादी को सबसे पवित्र रिश्ता माना जाता था, आज उसकी मर्यादाओं को तार-तार कर दिया गया है। जिस तरह से सेलिना ने अपनी शादी छुपाई है, लगता है उन्होंने कोई पाप कर दिया है। पुण्य को पाप का नाम क्यों दिया जा रहा है, क्यों अपनी सुंदर जिंदगी को लोगों से छुपाया जाता है, इसके पीछे भी कई कारण है, इन कारणों में प्रमुख है पैसा। फिल्मी हस्तियां अध्कितर विदेशों में ब्याह रचाती हैं, उन्हें इससे दो फायदे होते हैं, एक तो इंडियन मीडिया उन्हें परेशान नहीं करता है, वही दूसरा यह कि बाहरी पुरुष अमीर बहुत होते हैं और उन्हें किसी भी बंधन में नहीं बांधते हैं, जबकि देश में अगर शादी की जाती है तो यहां पर उन्हें कई बंधनों का पालन करना पड़ता है, भले ही वो कितने ही आधुनिक क्यों न हो? मगर उन्हें परंपराओं को निभाना होता है। एक और कारण यह है कि जब कभी रिश्तों में दूरियां बनाने की बात आती है तो बाहरी पुरुषों से आसानी से निजात मिल जाती है और फिर वो जीवन में कभी भी नहीं झांकते हैं, और न ही कोई रोड़ा बनते हैं, जबकि हिंदुस्तान में रिश्ते अपनी गर्माहट ठंड में भी नहीं छोड़ते हैं, वह किसी न किसी मोड़ पर सामने आ ही जाते हैं। हिंदुस्तानी दिलों का यह विदेशी प्यार ही है जो उन्हें सीमा पार पार करवा देता है। हमारे यहां से कई लोगों ने परदेश में प्रेम किया है, हालांकि इनमें से कामयाबी की डगर पर कितने आज भी बैलेंस तरीके से चल रहे हैं, यह तो अंगुलियों पर ही गिने जा सकते हैं। इश्क तो न चेहरा देखता है, और न ही मोहरा, उसे पैसों का कोई लोभ नहीं होता है, बस वह तो उस पल धड़क उठता है और उस धड़कन में कई चीजें सामने आ जाती हैं, फिर दिल कहता है कि हां यही है मेरा अपना। बस इसके बाद जो भी बाधा इसके रास्ते में आती है, वह उसे दूर कर देता है, उससे टकरा जाता है। सालों से यह क्रम चला आ रहा है। मगर आज मुहब्बत के मायने ही बदल गए हैं, अब तो धड़कने भी पैसों की खनक सुनकर ही धड़कना शुरू करती है। इन्हें प्यार पर सवाल करना आ गया है, और प्यार में पैतरें चलना भी। जहां पैसों की चादर जितनी लंबी हो चली, मुहब्बत की गाड़ी भी उधर ही दौड़ पड़ी। जीवनचक्र इसी में समा गया है, और इसमें ही बंध गया है। मुहब्बत की इस पारदर्शी झिल्ली में कुछ छेद हो गए हैं और वहीं से लालच भितरघात करने में लगा हुआ है। यह हम पर निर्भर करता है कि इससे बचा कैसे जाए। और अपनी मुहब्बत को पाक साफ रखा जाए।

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