Sunday, January 9, 2011
तो मैदान पर कैसे दिखेगी दादागिरी
ओल्ड इज गोल्ड...का फंडा इस बार फेल हो रहा है। इस बार पुरानों पर भरोसा नहीं जताया जा रहा है, यह उस टीस की तरह है, जो यह बताती है कि एक समय जिसके लिए दुनिया मरती थी, आज उसे नजरंदाज कर दिया गया है। आज उसे तवज्जो नहीं दिया जा रहा है। एक समय वह था, जब पिच पर लारा का बल्ला दम भरता था तो हर कोई उनकी यादों में समा जाता था। उनके शॉट का न सिर्फ उनका देश ही वाह करता था, बल्कि जो भी क्रिकेट की दुनिया को जानता है, वह इस कैरीबियाई कोहिनूर को पहचानता था, इसकी कीमत हर कोई मानता था। लेकिन आज उसके बल्ले की आग को कोई नहीं देख रहा है, माना कि उस दौर की तरह उसमें अब वह चपलता नहीं रह गई है, लेकिन है तो वह ब्रायन चार्ल्स लारा। जिसकी बैटिंग का हर कोई कायल है, भले ही वह आग न बची हो, लेकिन आईपीएल में जिस तरह से उनका अपमान हुआ है, वह यह बताता है कि यह दुनिया तब तक आपको पूछती है, जब तक आपका बल्ला चलता है, तब तक हर कोई आपको चाहता है। जिस दिन इस बल्ले ने धोखा दिया तो समझ लो इस चमकीली दुनिया से आपको निकाल कर बाहर फेंक दिया जाएगा। ठीक ऐसा ही हुआ है हमारे पूर्व भारतीय कप्तान के साथ। सौरभ गांगुली...बंगाल टाइगर के नाम से इस खिलाड़ी को पूरे देश ने अपने सिर पर बैठाया। हर मां का सपना था कि उसका बेटा हो तो गांगुली जैसा। और फिर वो बालकनी से शर्ट का लहराना...टीम इंडिया को विश्वकप के फाइनल तक पहुंचाना और भी कई यादगार बातें जो सौरभ के साथ जुड़ी हैं। विकेट पर भले ही ये धीमें थे, लेकिन इनके छक्कों का कोई जोड़ नहीं था। जब 99 के विश्वकप में इन्होंने दो गेंदों को नदी में पहुंचाया तो आज भी उसे यादकर हर कोई उनका चहेता बन जाता है, लेकिन आज उनसे कम टैलेंटेड खिलाड़ियों को भावदेकर खरीदा जा रहा है, लेकिन गांगुली को दरकिनार कर दिया गया है। आॅफ साइड के इस भगवान को कौन नहीं जानता, जब यह शॉट खेलता था तो टीम के साथ पूरा भारत तालियों से गूंजता था। आज वो तालियां कहां चली गई, किस गुमनामी में खो गया है यह सितारा। आज चढ़ते सूरज को सलाम ठोंका जा रहा है और डूबते हुए को साइड कर दिया जाता है, नए खिलाड़ियों को ले रहे हैं, लेकिन क्रिकेट में अपने नायाब टैलेंट और अदम्य खेल को दिखाने वाले सौरभ गांगुली को खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं, अगर देखा जाए तो पिछले आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स की ओर से सबसे ज्यादा रन भी उन्होंने ही बनाए थे। मगर उन्हें इस बार नहीं लिया गया है, यह कोलकाता के लिए भी घातक है, क्योंकि इस बार उनकी टीम को वह फैन फॉलोविंग नहीं मिली जो पहले मिल रही थी। हां शाहरुख कुछ दर्शकों को तो ले आएंगे, लेकिन जो दादा के दीवाने थे वो तो इनसे नाराज ही हो जाएंगे। और यह हमारा दावा है कि जिस टीम ने दादा को लिया, वो ख्ूाब कमाएगी। और तो और उनके प्रदर्शन पर भी अंगुली नहीं उठानी चाहिए, क्योंकि पिछली बार उन्होंने एक ही ओवर में कई छक्के लगाए थे। आज सचिन और शेनवार्न खेल सकते हैं तो फिर हमारे दादा क्यों नहीं। और जब दादा खेलेंगे तो उनके दीवाने उनके साथ चले आएंगे। बस बहुत हुआ, अब तो इस महान खिलाड़ी का अपमान मत करो, यह वही दादा हैं जो पिच पर अपनी दादागिरी के लिए जाने जाते हैं आज उन्हें इस हाल में मत छोड़ो, और रही नए क्रिकेटरों की बात तो आज उनका बल्ला चल रहा है तो सभी उनके दीवाने हैं, लेकिन जैसे ही बल्ला खामोश हुआ, लोग भी भुला देंगे।
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