Wednesday, January 5, 2011

हंगामा करना ही इनकी आदत है


हंगामा करना हमारी आदत नहीं है, बस तस्वीर बदलनी चाहिए....इस वाक्य को बीजेपी ने तार-तार करना ही अपना ध्येय बना लिया। सालों से घाटी सुलग रही है, यहां चिंगारी शोला बन जाती है और फिर ज्वालामुखी में तब्दील हो जाती है, सुकून से रहना और शांति जैसे शब्द तो यहां बेमानी ही नजर आ आते हैं। पिछले तीन-चार माह से घाटी शांत है, लेकिन यह तूफान का कोई संकेत हो सकती है। यह तो संंशय पर है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर बीजेपी हर जगह खलनायक की भूमिका क्यों अदा करना चाहती है। वह देश की हिमायती बनने का ढोंग रचती है और अपने कार्यों से देश को परेशान करने का ठेका ले लिया है। जिस तरह से यह बार-बार कोई न कोई हंगामा खड़ा कर हिंदुत्व का ढोल पीट-पीटकर मुसलमानों की भावनाओं को भड़काती है, यह तरीका ही नाजायज है। देश में अंगार लगाकर उसे कई बार इसने जलाया है। फिर चाहे वह बाबरी कांड हो या फिर गोधरा। हर बार लहू बहाने में बीजेपी ही शामिल हुआ है, उस पर ही दाग आए हैं। आखिर बार-बार इस तरह फंसना, कहीं न कहीं यह जरूर जताता है कि हां यह भी जुड़े हुए हैं, अमन का चोला ओढ़कर देश में खलनायकों की भूमिका अदा कर रहे हैं। यह तो बाद की बातें हो गई, नई इबारत लिखने की कोशिश फिर की जा रही है, यह है घाटी में अशांति लाकर। इस जन्नत में जब कुछ सुकून है तो बीजेपी वहां पर तिरंगा का तांडव क्यों मचाना चाहती है। आखिर वहां झंडा फहराने का ऐसा कौन सा तुक बनता है, जो देश के लिए बेहद जरूरी हो गया है, बीजेपी की साजिश एक बार फिर गंभीर दिखाई दे रही है, यह वह उलझनों को बढ़ाना चाहती है। वहां की भावनाओं को तिरंगा के माध्यम से हवा देना चाहती है, और फिर से वहां थमी आग को हवा देना चाहते हैं। क्यों? तिरंगे के रंग में लहू के रंग को शामिल करने की कोशिश की जा रही है, यह देश है हमारा, और इसमें बीजेपी की भी जिम्मेदारी है कि वह देश में शांति और अमन पर आंच न आने दे, लेकिन माचिस लाकर वह चिंगारी खुद ही फैलाती है, हर बार देश में जब भी कोई जला है तो उसमें राजनीति की तोप से ही बारूद निकला है और इस बारूद से कई हताहत हुए हैं, फिर इस बारूद ने यह नहीं देखा है कि वह हिंदू है कि मुसलमान। हर कोई इसमें पिसा है तो फिर क्यों यह नापाक कोशिश की जा रही है। षड्यंत्र तो दुश्मन करते हैं, लेकिन बीजेपी ऐसा करने का मन क्यों बना रही है, यह समझ से बिलकुल परे है, देश में हिंदुत्व का डंका पीटने वाली यह पार्टी युवाओं को दिग्भ्रमित करने में पूरी तरह से जुटी हुई है। उनके मासूम सीनों में आग लगा रही है और इस आग से अपनी सत्ता के कांटों को जलाने की कोशिश में जुटी हुई है। आखिर नेतृत्व नहीं मिला तो देश को बर्बाद तो मत करो, यह विकास करे यह भारत में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की न सिर्फ जिम्मेदारी है, बल्कि उसका कर्त्तव्य भी है और बीजेपी को इसे नहीं भूलना चाहिए। घाटी जैसी संवेदनशील जगहों पर इस तरह के ऐलान निश्चय ही देशद्रोह की श्रेणी में आना चाहिए, क्योंकि यहां पर तिनका भी उछलता है तो आग बनने में समय नहीं लगाता है, और यह तो सीधे-सीधे माचिस जलाकर सूखे पत्तों पर फेंकने का दुसाहस कर रहे हैं। इसके लिए इन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए।

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