Sunday, January 30, 2011
हे राम! देश को बचाओ
गांधी ने आखिरी समय में कहा था हे राम...शायद उनके जाते ही देश की हालत यह हो गई है। देखा जाए तो इस देश में कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है। भ्रष्टाचार का भूत सता रहा है, इसमें खास लोग शामिल हैं। वहीं महंगाई देश में चरम पर है। बड़े नेता देश को अंधेरी गर्त में डाल रहे हैं। देखा जाए तो हर कोई नेता अपनी अपनी तिजौरियां भरने में जुटा हुआ है। वहीं मीडिया, न्यायपालिका और संसद। हर कोई भ्रष्टाचार की गाड़ी पर सवार है, ऐसे में देश कहां जाएगा। कोई जानता नहीं, और किसी को पता भी नहीं, क्योंकि यहां तो सभी अपनी-अपनी ओर जुटे हुए हैं। इनका कोई मालिक नहीं है, क्योंकि यह देश तो अनाथ हो गया है। कांग्रेस भ्रष्टाचार से उबर नहीं पा रही है, वहीं भाजपा अपने तरीके से उठने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसका उठना, राजनीतिक खिचड़ी नजर आ रहा है। जिस तरह से तिरंगा पर देश में तकरार हुई है, उससे तो यही लगता है कि किसी तरह वह अपनी खुन्नस निकालने में जुटी हुई है। वहीं संसद के दोनों सदनों में इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई, वजह था विपक्ष की पार्टी ने विरोध जताया था। यह देश के लिए किसी काले दिन से कम नहीं था, क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ था जब संसद में इतना विरोध हुआ है कि हर कोई उसे कलंक मान बैठा है, लेकिन इसकी किसी को परवाह तक नहीं है। यहां तो खास लोग कई खेल में जुटे हुए हैं। और इस खेल पर सिर्फ चिल्लाचोट होती है, इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया जाता है। नेताओं ने तो देश को अपनी रखैल बना लिया है, जब चाहे तब वो इसकी आबरू से खेलते हैं। प्रशासन पूरी तरह से नाकाम है, गांधी जी आज ही के दिन इस दुनिया से गए थे, वह तो महापुरुष थे, लेकिन आज देश को देखकर वो बहुत ही दुखी होंगे, शायद उनकी आत्मा दर्द से कराह रही होगी। क्योंकि जिस देश की कल्पना उन्होंने की थी, वह कल्पना में ही रह गया और देश के दुष्टों ने उसे हकीकत में इतना खराब बना दिया है कि वो अब रो रहे होंगे। बापू को गोली लगी थी तो सारा देश रो रहा था, लेकिन आज उनकी आत्मा रो रही है। करेंसी से लेकर, विदेशों में काला धन। हे राम कितना भ्रष्टाचार कोई नहीं समझ पा रहा है कि आखिर इसका कारण क्या है। बयार पूरी तरह से पलटी हुई है और लोग अब किसी विशेष दूत की ओर देख रहे हैं, लेकिन करिश्मा बार-बार नहीं होता है, क्योंकि अब वह हालात नहीं है। देश पूरी तरह से भ्रष्टाचार की खाई में पड़ा हुआ है, और वहां से उसे कोई खींच कर नहीं ला सकता है। दुनिया ने कई करवटें बदली हैं, लेकिन हम विकास और तरक्की का फटा ढोल पीटते हैं, जबकि हकीकत कुछ और ही है। बापू ने कहा था कि इस देश में सभी को बराबरी का अधिकार मिले, लेकिन यह उलटा ही हो गया, कुछ लोग तो इतनी आगे चले गए हैं कि उन्हें पीछे वाले अपराधी लगते हैं। बापू ने यह भी कहा था कि गरीब का हाथ सदा थाम कर रखो, लेकिन गरीब को तो अंधेरे कोने में सजा भुगतने के लिए ही डाल दिया गया है। बापू ने यह भी कहा था कि किसान की तरक्की के बिना देश की तरक्की नहीं हो सकती है, लेकिन हुआ बिलकुल विपरीत। आज न तो किसान की सुध है और न ही गरीब की। सफेद कालरों ने मिलकर देश को काला कर दिया है और कालिख पोती जा रही है गरीब के सिर। कभी-कभी इस देश में आम आदमी का दम घुट जाता है, लगता है कि क्या सोचा था और क्या हो गया। देश को दर्द दिया जा रहा है, और दर्द पर मरहम लगाने की जगह उसे खरोंचा जा रहा है। हवाएं भी बदल रही हैं, लेकिन देश दलदल में फंसा लग रहा है और इससे बचने के लिए कोई नई डगर ही लानी होगी। कुछ विद्रोही और क्रांतिकारी कदम उठाने होंगे, तभी यह बेपटरी देश पटरी पर आ सकेगा, अन्यथा देश को बचाएगा कौन?
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