Tuesday, January 4, 2011

फिर शिकायत मत करना


सफलता दुश्मन भी होती है , क्योंकि कई बार यह ऐसे जख्म दे जाती है, जो जीवन भर नहीं भरता। हम सभी सफलता के लिए प्रयास करते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो जीते ही सफलता के लिए। यह सफलता लुभावनी भी होती है और डरावनी भी। हां, जो इसके पास नहीं है उसे वह बहुत भाती है, इसके लिए वह दिनरात प्रयास ही करता रहता है, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं, जो इस तक पहुंच जाते हैं और जब इस पर रहते हैं तो गर्व की अकड़ आ जाती है, कई बार नहीं भी आती है, लेकिन शिखर के ताज को बनाए रखना बहुत ही मुश्किल होता है, हमारे सिद्धातों की कई बार बलि भी चढ़ानी पड़ती है, लेकिन बहुत हुआ, बस अब तो हम इससे कतराते नहीं। तूफान बहुत है सफलता और शिखर की राह में, अगर इनसे लड़ना नहीं जानते तो समझो यह तुम्हें उस अंधेरे घेरे में पहुंचा देंगे, जहां से तुम कभी वापस नहीं आ पाओगे। दुनिया बदल रही है, ऐसे में आपको जीवन को अलग अंदाज से जीना पड़ेगा, जीवनी हमारी भी है, मगर हम हौसलों की उड़ान भरने में कभी पीछे नहीं हटेंगे। सीखना ही शिखर की सरताजगी तो सचिन से सीखनी होगी। वह तो सालों से नाबाद खड़ा हुआ है और आज तक कोई भी तीस मार खान अब तक नहीं पहुंच पाया है, आखिर तीस मार खां भी कई हुए, लेकिन जाबाज वहीं होता है जो सल्तनों के पीछे नहीं दौड़ता, बल्कि जीवन के कई पहलुओं को अंधकार से निकाल ेता है। आज की दुनिया में कई चक्र हैं और आदमी इन्हीं में फंसा रहता है, अब हमें कुछ करना है, नया अहसास दिलाना है,क्योंकि यह हमने नहीं किया तो जीवन निकल जाएगा, और अंत में लगेगा कि कुछ किया ही नहीं। जब सफलताएं परियों की कहानी नहीं होती, यह तो मक्कारों का कहना है कि हम असफल हैं, क्योंकि इन्होंने जीवन में तैरने के लिए कभी छलांग ही नहीं लगाई। पानी के इस पार से ही वो कहते रहे, जब तक हम तैरना नहीं सीख जाते, पानी में नहीं उतरेंगे और अंत में सबसे शिकायत करते नजर आए कि हम नहीं सीख पाए। यह तो कोई बात नहीं है, बात यह है कि गुमान करने की, जब तक हम दुनिया को बदलने का जज्बा नहीं रखेंगे तब तक हमारी इंसानियत की फितरत में कई धोखे दामन को पकड़े बैठे रहेंगे, बस करना यह है कि इन धोखों से हमें बचना होगा, हम तो हवाओं पर कप्तानी करने का साहस रखते हैं, उन्हें अपने इशारों पर घुमाने का हौसला भी पालते हैं, और यह हमारी कोई खुशफहमी नहीं है, बल्कि हमारे इरादों में वह फौलाद है जो दूसरी चट्टानों को उखाड़ देता है। हम बम हैं और बारूद बनकर भटकते रहते हैं। इसलिए सफलता से हमें बहुत मुहब्बत है, उसकी आशिकी हमें बहुत प्यार दिखाती है। दुनियादारी बहुत अलग चीजें हैं, लेकिन जीना जिंदगी का नाम है और इस जिंदगी कई परवानों को प्रखार कर देती है। आखिर दुनिया को हम हिमालय की तरह दिखाई दें, हम अपनों को अहंकारिता का एक नया पैगाम न दें, बल्कि जीवन में कई फितरती बातों को नजरंदाज कर दें। संभव असंभव के इस भंवर में हम क्या अपना कोई वजूद ढूंढ़ रहे हैं या फिर अपनी नई आवारगी को अंजाम दे रहे हैं। हमारा तो यही कहना है कि यहां कुछ भी असंभव नहीं है, यहां जो भी सामने है मैदान में आ जाओ, जिसमें दम है मैदान में दिखा दो, पूरा जग सामने पड़ा है, जीत लो इस जग को, क्योंकि जब तक तुम्हारे प्रयासों में पूरी शुद्धता नहीं होगी, वो सफलता से दिल्लगी नहीं कर पाएंगे। यह बहुत ही सुंदर है, इसके साथ रहोगे तो दुनिया तुम्हें पूछेगी, लोग तुम्हें जानेंगे। अब कम्प्लेन मत करो, क्योंकि यह ठीक नहीं है, बस कार्य करो, जीवन का लक्ष्य बनाकर।

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