Tuesday, August 24, 2010

तुझे सब है पता है न मां...



भगवान हमारे साथ हर समय हमारे साथ नहीं रह सकते हैं, शायद इसलिए उसने हमें मां दी है...हर गम और हर तूफान से हमें बचाती है मां। जब कोई मुश्किल आए तो दुनिया में मां ही होती है, जो अपने बच्चे के साथ डटकर खड़ी रहती है। जब भी मैं उदास हुआ, वह मुझे दुलराने लगी। जब भी कुछ जरूरत हुई तो उसने अपना पेट काटकर मेरी उस जरूरत को पूरा किया। हर गम को सहा उसने, मगर मुझे हर आंच से बचाया। कभी भूख लगी तो मनपसंद खाना तैयार कर देती थी। मगर आज मैं इतनी दूर हूं, मां से काफी दूर आ गया हूं। वक्त और हालातों के थपेड़ोें में वह बचपन की यादों तोहफा ही मेरे पास है, जो सिर्फ आंसू ही देता है। वो पल, जब मैं बीमार हो जाता था तो मां रात-रात भर मेरे सिर पर हाथ धरे बैठी रहती थी, जब कभी मुझे लग जाती थी तो उसका दर्द मैं मां की आंखों मेें महसूस किया करता था। मैं बहुत छोटा था और तोतलाकर बोलता था, मेरी उस भाषा को और कोई समझ नहीं पाता है, सिवाय मेरी मां के। मैं जो भी बोलता, न जाने वह कैसे समझ जाती। क्योंकि वो मेरी मां है, उसे न जाने क्यों मेरी तकलीफ मुझसे पहले पता चल जाती है। अब मैं उससे सैकड़ों मील दूर हूं, और वह पल मुझे बार-बार रुला रहे हैं। मां अब मुझे भूख लगती है तो यहां सिर्फ चावल ही मिलते हैं, तुम्हारी बहुत याद आती है, तुम्हारे हाथों के खाने की। मुझे लगता है कि मैं भी कितना शहंशाह था घर में, हर समय मां को सताया करता था, हर बात पर रौब और हुक्म झाड़ता था। यहां तो मेरा कोई रौब नहीं चलता मां। मां तेरे बिना यह दुनिया कितनी अधूरी है, कितने बेदर्द हैं लोग , जो हमेशा नोंचने के लिए बैठे रहते हैं। अब रात को जब मैं बिस्तर पर सोता हूं तो तेरी गोद नहीं मिलती, तेरा वो मेरे सिर पर हाथ फेरना...मां तुझे सब है पता...मैं यहां बहुत दूर हूं तुझसे, मगर मुझे मालूम है कि मेरी तकलीफ का अहसास होगा तुझे, मगर मां मैं क्या करू, मुझे भी तेरी बहुत याद आती है, यहां खाने में रोटी नहीं मिलती है, चावल देखकर रोना आता है मां...पैसे और कॅरियर ने मां मुझे तुझसे दूर कर दिया है , मुझे पता है कि तू भी उदास है और मुझे पता है जब मैं जा रहा था तो तेरी आंखों से आंसू बह रहे थे, और मुझे यह भी पता है कि जब मैं तुझसे फोन करता हूं तो बाद में तू घंटों रोया करती है, मेरी यह बातें तेरे मन को तड़पा देती हैं, मगर मां यह दुनिया कैसी है, अब मैं साफ बोलता हूं, फिर भी समझ नहीं पाती। मां मैं तुझे रोज याद करता हूं मां। तेरी नजर मुझे पता है कि दरवाजे पर ही टिकी रहती है कि कब तेरा लाल आएगा, मां मैं जानता हूं, और मेरा भी मन यहां नहीं लगता है। मैं जल्द आऊंगा!

No comments:

Post a Comment