Wednesday, May 12, 2010

क्या खाक जीतेंगे अगली बार?


धोनी बाबू भी इस देश की रीत को अच्छी तरह से समझ गए हैं, यहां पर लोगों को बरगलाओ, उन्हें नेताओं की तरह ओजस्वी सपने दिखाओ, भरोसा दिलाओ और अपनी गाड़ी आगे बढ़ाओ। धोनी का स्वर्णिम समय चला गया, जब इन्हें अपनी किस्मत से अधिक मिल रहा था। भई क्रिकेट में हालांकि किस्मत का साथ होना जरूरी है, लेकिन अकेली किस्मत से मैच थोड़ी ही जीते जाते हैं, उसके लिए खेलना पड़ता है और वह भी दमखम से। टीम की बुरी पराजय का दोष हमारे कप्तान साहब हालातों और बुरे वक्त को दे रहे है। साथ ही यह भरोसा भी दिला रहे हैं कि उनकी टीम अगले विश्वकप में जरूर कमाल दिखाएगी। तो धोनी साहब अगला विश्वकप किसने देखा है, क्रिकेट वर्तमान का खेल है, बड़े-बड़े वादे करना छोड़ दो, जिस तरह से टीम हारी है, उसके दोषी आप ही हो, क्योंकि जब आप 2007 जीते थे तो आप ही हीरो भी बने, तो इस हार का ठीकरा भी आपके माथे पर ही फूटेगा। मगर आप के तो क्या कहने, आप तो सारी चीजों को बड़ी सफाई से बाहर करने में जुट गए हो, आप हार की जिम्मेदारी न लेकर भविष्य की बातें कर रहे हैं, माना की हमारा देश थोड़ा भावुक है और अपने हीरो की बातों पर पूरे मन से विश्वास भी करता है, लेकिन हर बार ऐसा नहीं होगा, क्योंकि इस बार तो आपने शर्मनाक काम कर दिया है, आपकी तो कोई रणनीति ही नजर नहीं आई, जहां जो डिसीजन लेने थे, आपने तो लिए ही नहीं। टीम में एक बल्लेबाज ही ठीक ढंग से खेला, अगर उसे भी बाहर कर दें तो तुम्हारा सुपर-8 में आना ही शंकास्पद नजर आने लगेगा। जिस तरह से सारी ऊर्जा आपने आईपीएल जीतने में लगा दी थी, उसने आपकी लुटिया डूबो कर रख दी। ऊपर से आप हिटर बल्लेबाज की जगह ऐसा खिलाड़ी ले गए, जिसे 20-20 में सिर्फ आईपीएल का तर्जुबा था। वहीं पिछली बार जड़ेजा ने भारत को विश्वकप हरवाया था और उसे इस बार भी आप ले गए। क्या पता आपको टीम चुनते नहीं आता। युवराज पर आप इतने मेहरबान क्यों नजर आए, भई उनके फॉर्म तो बहुत दिनों से लचर ही चल रहे थे। आपकी थकी हारी टीम ले जाने की आखिर जरूरत क्या थी। ऊपर से आप वहां पहुंचकर अति घमंड में नजर आए, 20-20 का गुरूर आपके सिर पर ऐसा चढ़कर बोल रहा था कि आपने वहां प्रैक्टिस मैच खेलने से ही इनकार कर दिया। वह तो शुक्र हो कि आपका पहला मैच अफगानिस्तान जैसी पिद्दी टीम से हुआ, वरना आप वहां भी देश को लुटवाने का पूरा मन बना चुके थे। आपको किस्मत ने भी मौका दिया, लेकिन उसमें भी नहीं जीत पाए। इस आखिरी मैच के मुजरिम तो आप ही कहलाएंगे माही जी, क्योंकि जिस समय आप आए थे, हम सौ के पार थे, और हमारे पास आठ ओवर से अधिक थे, लेकिन आपकी संयम पूर्वक बैटिंग देखकर ऐसा लगा कि आप डरे हुए हैं और पचास ओवर का मैच खेल रहे हों, माही जी 20-20 एक खिलाड़ी का खेल होता है और आप तो इंडियन पिचों पर धमाके करते हो, वहां महज 23 रन, वह भी इनती शानदार शुरुआत के बावजूद, अगर रन नहीं पड़ रहे थे तो हिट विकेट ही हो जाते, कम से कम इंडिया कुछ रन तो बना लेती। अब आपकी टीम में वह जोश नहीं बचा है, आपके फ्रेश लेग किसी काम के नहीं है, जिस तरह से आपने उस समय टीम के सौरव और राहुल के साथ बर्ताव किया, निश्चय ही वह आगे आ रहा है। जहां तक 50-50 की बात है तो इस समय आपके किसी भी खिलाड़ी में वह प्रतिभा ही नजर नहीं आ रही है कि वो 50 ओवर खेल पाएंगे। अब आप कैसे कहेंंगे की आप हमें विश्वकप जितवाएंगे। बहाने बनाना छोड़ों धोनी और हकीकत से जल्द ही रूबरू हो, क्योंकि विश्वकप सिर पर खड़ा है और अगर आप ठीक नहीं खेले तो इतना मान लीजिए कि जितनी तेजी से आपको इस देश ने सिर पर बैठाया था, कब आपको शिखर से सड़क पर लेकर आ जाएंगे, यह आप भी नहीं जानोगे, इसलिए आंखें खोलो और बहाने बनाने छोड़ों, और अगले मिशन की तैयारी करो, नहीं तो आप भी बदल दिए जाओेगे और टीम भी।

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