Thursday, July 22, 2010

इनका बस चले तो भारत का नाम ही मराठी कर दें


शिवसेना की उग्रता दिन- ब-दिन लोगों की जिंदगी में खलल तो डाल ही रही है, साथ ही देश के ऊपर एक तानाशाह शासन करने की कोशिश कर रही है। पहले बाला साहेब ठाकरे, इसके बाद राज ठाकरे जिस तरह से सरेआम गुंडागदी कर रहे हैं, निश्चय ही उसने देश की व्यवस्था के ऊपर कालिख पोत कर रख दी है। ये नेता, कम गुंडे बनकर देश के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, और सत्तासीन धृतराष्ट्र की भूमिका में नजर आ रहे हैं। आखिर वो कौन सी ताकतें हैं जो राज के कद को इतना बड़ा बना दे रही हैं कि हाइकमान सोनिया और प्रधानमंत्री साहब कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। जिस तरह से मुंबई में इन लोगों ने आतंक मचा रखा है, वह किसी से भी छिपा नहीं है। वहां जब मर्जी होती है शिवसेना के गुंडे आते हैं, लोगों की पिटाई करते हैं और मनमानी वसूली करते हैं। साथ ही साथ अपने फैसले दूसरों पर थोप देते हैं। कुछ दिनों में माहौल देखकर तो ऐसा लग रहा है कि इनकी मर्जी के बाद ही दूसरों के घरों की औरतें कपड़े पहनेंगी। राज ठाकरे बेदह गुंडा तत्व है और उन्हें, कार्यकर्ताओं सहित रोकने की जरूरत है, क्योंकि जिस तरह से उन्होंने मुंबई की वॉट लगा रखी है और मराठी हित के नाम पर राजनीति के दांव-पेंच चल रहे हैं, वह न तो मराठियों से छिपा है और न ही देश की जनता से। जब देश के संविधान ने जाविाद और क्षेत्रवाद का कोई विकल्प नहीं बनाया तो वो आग लगाकर घी क्यों डाल रहा है। विडंबना तो अब होगी, जब बैंकों को निर्देश दिए जाएंगे कि सभी बैंके अपने नाम मराठी में लिखें, चूंकि शिवसेना का मामला है और अगर ऐसा नहीं करते हैं तो निश्चय ही बैंक में तोड़-फोड़ होगी, इसलिए प्राइवेट बैंकें तो फटाफट अपने नामों के होर्डिंग मराठी में करने का मन बना रहे होंगे। मगर यह क्या? क्या इस देश की कल्पना हम कर रहे हैं, क्या ऐसे देश मेें हमें जीना भा रहा है, जहां कुछ लोग अपने हितों को साध रहें हैं। वक्त हाथ से सरपट निकला जा रहा, और शिवसेना का आतंक भी। ऐसे में अगर इसे यहीं नहीं रोका गया तो आने वाले दिनों में सर्प अजगर बन जाएगा और तब डसेगा नहीं, सीधे ही लील जाएगा। आखिर तानाशाही का अंत होना चाहिए और जब तक पुलिस के लोग उनके पिद्दे बने रहेंगे, नेता अपनी कुर्सी पकड़े रहेंगे तब तक ऐसा नहीं हो सकता है। जरूरत है सख्त कदम उठाने की, शिवसेना को सबक सिखाने की, वरना यह संगठन देश के लिए वह काला अध्याय लेकर आएगा, जिसकी अभी तक कल्पना भी नहीं की होगी। ये लोग इतने उग्र हो गए हैं कि हर चीज को मराठी बनाना चाहता है। आज भाषा पर वार किया, लोगों पर वार किया, स्वतंत्रता पर वार किया, फिर भी इनके दुशासन को रोका नहीं गया, अब भी अगर हम मौन साधे बैठे रहे तो कल यह भारत का नाम बदलकर मराठी रखने में भी नहीं हिचकिचाएंगे...और तब भी कोई कुछ नहीं कर पाएगा। इसलिए जल्द से जल्द इस बेबसी और लाचारी की चादर को बाहर फेंकना होगा, क्योंकि मराठावाद देश की संप्रभुता के लिए एक खतरा दिखाई दे रहा है। खासकर शिवसेना द्वारा जिस तरह से भोले-भाले मराठियों को बहकाकर उनका इस्तेमाल कर सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने की कोशिश की जा रही है, वह सब जानते हैं। ऐसे में मराठी लोगों को भी विरोध करना होगा, क्योंकि अपराधियों का साथ देना कर्त्तव्य नहीं है, और यह नियम के विरुद्ध भी है, इस पर विशेष गौर करना होगा। उन्हें अपना एक दिग्दर्शन स्वयं इस्तेमाल करना होगा, क्योंकि ऐसा नहीं हुआ तो निश्चय ही मराठी पूरे देश के लिए नासूर बन जाएगा, तब कुछ नहीं किया जा सकेगा।

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