Tuesday, July 6, 2010
बंद से सांसें हो गई बंद
प्रिया को अचानक पेट में दर्द उठा, वह प्रेगनेंट थी, और उसकी डिलिवरी का आखिरी समय चल रहा था, उसका दर्द बढ़ता गया, मगर न तो टैक्सी मिली उसे ले जाने के लिए और न ही कोई वाहन। हार कर पति ने अपनी टू व्हिलर में उसे बैठाया और निकल पड़ा उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए...मगर जब तक वह उस पर बैठ नहीं पाई और रास्ते में उसे उतरना पड़ा...इस पर पति ने उसे हाथों में उठाया और अस्पताल की ओर निकल पड़ा। मगर जब तक वह अस्पताल पहुंचता वह दम तोड़ चुकी थी....पंजाब के एक इलाके में वैभव के पिताजी को कल दिल का दौरा पड़ा और उन्हें जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना था लेकिन बंद के चलते वे नहीं जा पाए और उसके सिर से बाप का साया उठ गया।...सोनम की शादी अगले माह ही होने वाली थी, मगर मां की अर्थी उठ जाएगी यह किसी ने भी नहीं सोचा था। घर के सामने बीजेपी के कार्यकर्ताओं द्वारा जमकर मारपीट की गई, इस दौरान उन्होंने विरोध जताया तो उसे भी पीट दिया गया, राहुल कॉलेज जा रहा था, उसे पता नहीं था, लेकिन रास्ते में उसे बीजेपी वालों ने मारा...यह सब घटा एक दिन, यह हालांकि काल्पनिक है, लेकिन यह सब घटता तो कोई आश्चशर्् नहीं होता, क्योंकि बंद ने पूरे देश को बेहाल कर दिया था। जिस दिन बीजेपी का राष्ट्र बंद अभियान था, मगर इससे किसी को क्या फर्क पड़ता है, क्योंकि जिन लोगों ने इसका ठेका लिया था, उनके घर में कोई भी ऐसी अप्रिय घटना नहीं हुई, जिसके कारण उनके दिलों को चोट पहुंचे। यह थे देश के हालत। पूरा एक दिन लोग दहशत में जिए और बीजेपी इसे पूर्ण समर्थन का नाम दे रही है। आप से ही एक सवाल, आप क्या बंद में शामिल हुए, या फिर किसी तरह का कोई झमेला न हो जाए इसलिए आप ने बीजेपी के बंद में जबरन हामी दे दी, याद रखिए मौन स्वीकृति भी एक तरह का पाप होता है, और कहीं न कहीं इसकी कीमत आगे चलकर हमेें ही सिखानी पड़ती है। यहां प्रश्न यह उठता है कि आखिर इतने बड़े बंद से व्यापक असर का क्या मतलब, जहां तक देखा जाए एक दिन में करोड़ों की चपत लग गई है, इससे कहीं न कहीं व्यापार प्रभावित जरूर होगा । वह तो ठेकेदार हैं, जिन्होंने बंद कराने का ठेका लिया था और नुकसान से कोई लेना देना नहीं है, जो हजार करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है, अगर उसे भाजपा भर देती है तो इस बंद का कोई मतलब भी समझ में आता है, अन्यथा यह तो सीधे-सीधे गुंडागदीर् है। बदमाशोें और इनमें भला बताइऐ कौन सा अंतर रहेगा वो भी तो बंद करके ही लूटते हैं, इन्होंने भी तो कुछ ऐसा ही किया। इसलिए इन्हें दोषी देना ही होगा। और जहां तक बात रही इस बंद से तो इससे कुछ नहीं होने वाला है...मगर यहां यह भी तो है कि जिन्होंने इसे बंद करवाया है, उन्हें भी इससे कोई लेना-देना नहीं है, वो तो सिर्फ जनता की सोच की धारा को परिवर्तित करने की कोशिश में लगे हुए हैं। और कुछ हद तक कामयाब भी हुए हैं, मगर ये जनता है सब जानती है ये पब्लिक है, और इन नेताओं को भी समझ लेना चाहिए कि इस तरह से राजनीति कर देश का नुकसान न करें, क्योंकि इससे सिर्फ हंगामा मचायाा जा सकता है, जनता का प्यार हासिल नहीं हो सकता और जब तक वह नहीं होगा, जीत ताज हाथ नहीं आएगा। इस बंद ने प्रबुद्ध वर्ग के लोगों में निश्चय ही बीजेपी की नकारात्मक छवि को गढ़ दिया है, इससे कहीं न कहीं कांग्रेस को थोड़ा फायदा हुआ है, और अगर बीजेपी लगातार इस तरह कुल्हाड़ी पर पांव मारती जाएगी तो एक दिन पूरा पांव ही कट जाएगा। अब यह निर्भर करता है कि आखिर कैसे वो इस सोच को आधुनिकता का अमली जामा पहना पाती है, क्योंकि ऐसा नहीं कर पाई तो उसकी भूमिका पर प्रश्नचिह्न उठाए जाने लगेंगे।
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