Sunday, July 11, 2010
‘अब्दुल्ला की शादी’ और आज दुल्हन उसकी
इस विश्वकप में अंदर नजर दौड़ाओ तो वहां भी दिल धड़क रहा था और बाहर नजर दौड़ाओ तो वहां भी धड़कने लगता था। माहौल ही कुछ ऐसा था हर ओर खूबसूरत बालाएं अपने जलवे दना दन गोल की तरह दिखा रही थी, और हमें उनकी अदाएं क्या खूब भा रही थीं। इनकी दीवानगी देखकर हमारी दीवानगी बढ़ रही थी, यह तो हुआ कॉरिडोर का मामला। जरा रुकिए... अब हम साउथ अफ्रीका से इंडिया आते हैं.... यहां के हाल....
इस विश्वकप में यह जीतेंगे, यह खिलाड़ी सबसे तेज है और यही सबसे ज्यादा गोल दागेगा। यह तुरुप का इक्का हो सकता है, यह कोच टीम को विश्वकप दिलवाने ही आया है, इसके विरुद्ध कोई रणनीति काम नहीं आएगी। ये तो विश्व चैंपियन हैं और इसे कोई परास्त नहीं कर सकता है, हमारी टीम तो अजेय है...बात यहीं तक नहीं रुकी, भावनाओं का सैलाब इससे आगे तक बह गया और इस अनजानी शादी में हर कोई दीवाना हो गया, लोग अपने-अपने खिलाड़ी पर दांव लगाने लगे, किसी ने पैसे भी लगाए तो किसी ने महज शर्त ही ठोंक डाली। कोई बोलता यह टीम ही है दावेदार, कोई कहता आज अगर यह जीती तो नाश्ता, लेकिन हार पर उन्होंने कोई हंगामा नहीं मचाया। हर तरफ जज्बात उमड़ रहे थे, मैच साउथ अफ्रीका में चल रहे थे, लेकिन गोल के पास गोल-गोल पूरी दुनिया घूम रही थी आखिर धरती गोल जो है, ऐसे में गोल-गोल तो करना ही पड़ेगा और घूमना ही पड़ेगा। कभी पूरी शंका-कुशंका शांत हुई, कोई कहता टोटका इस बार इसका है, नक्षत्रों का भी हवाला दिया गया। वहीं बीच में नया शिगूफा यह आया बाबा आॅक्टोपस का। इनकी सारी भविष्यवाणियां मानने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इन्होंने अभी तक जो कहा वह सच हुआ है और अगर आगे भी होता है तो निश्चय ही विश्व विजेता स्पेन ही बनेगा। आज फीफा विश्वकप फुटबाल का आखिरी दिन है, आज शहंशाह की जंग के लिए दो टीमें भिड़ेंगी। सबके जज्बात भी चरम पर होंगे और खेल में दम भी दिखाया जाएगा। कौन किस पर भारी है और किसमें कितनी स्पीड है, इसका फैसला आज होगा, हर खिलाड़ी इन तीन घंटों को अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाने की कोशिश में लगा हुआ है, सबने जांबाजों की तरह तैयारी कर रखी है और जिसने भी एक मौका दिया या लिया तो समझ लो फतेह उसी को मिलेगी, यार यहां तो जीत उनकी, हार उनकी, मगर हमारे देश की जबरदस्ती वाली भावनाएं जो उमड़ी आ रही हैं, निश्चय ही आज बरात क आखिरी रात में जश्न मन जाएगा और फिर विदाई हो जाएगी । इसके बाद कुछ लोग स्वयंवर की तरह खाली हाथ लौट चुके हैं, कुछ और लौटेंगे और कुछ अपनी बाजुओं में दुल्हन (ट्रॉफी) लेकर दौड़ते नजर आएंगे । ये तो किस देश में जाएंगे और हमारा इनसे कोई वास्ता भी नहीं है, और अगले चार सालों के लिए हम फिर इन्हें भूल जाएंगे, मगर इस समय तो हमारी स्थिति यह है कि हम लोग उनके दीवाने हो गए हैं, इसमें हम हमारी दीन दुनिया ही भुला बैठे हैं, महाशय गरीब हो या अमीर...सबकुछ दु:खियों की बातें नहीं है , यह वक्त हमारा है तो इस दीवानगी के लिए चर्चे भी होने चाहिए, मगर बहुत हो गया भइया अब तो कम से कम आज मुक्ति मिल ही जाएगी, वरना तो हम परेशान हो गए हैं रात से ही लोग गोल गोल चिल्लाने लगते हैं, बच्चे डर जाते हैं, अब लगता है कि न जाने कौन सा तारा गोल -गोल दिख रहा है, हर कोई शाम से जमघट लगाए बैठा था, हाल वही था कि जब रोम जल रहा था तो नीरो बंसी बजा रहा था देश की धज्जियां उड़ रही हैं और लोग फुटबॉल में मदहोश हैं। वाह इंडिया वाह, अभी तक तो क्रिकेट का जमाना था अब फुटबॉल का, मैं तो उस दिन की कल्पना करता हूं जब इंडिया फुटबॉल में पहुंचेगा, कसम से, दूसरे खेलों की तो वॉट लगने वाली है, मगर अभी धोनी को टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीें है, भाई की नई-नई शादी हुई है और साक्षी जैसी बीवी मिली है तो इंजॉय। मगर यहां तमाशबीनों का क्या करें, क्योंकि ये तो हर चीज को तमाशा बनाकर अपनी मुट्ठी को मजे से खोलना चाह रहे हैं। आज जज्बात के उफान खत्म होने के बाद कल से कहीं न कहीं इन लोगों को बोरिंग जरूर होने वाली है, और रह रहकर उन तीन घंटों का रोमांच सताएगा, क्योंकि अब तो आदत सी हो गई है, फुटबॉल की। मगर यह मुंह की लगी नहीं है, जो छूटे न, आज के बाद अगले विश्वकप में ही हम इसके प्रति दीवाने होने वाले हैं, अगले चार साल तो हमें इसका होश तक नहीं रहेगा।
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