Monday, April 26, 2010

हम भी लुटे सनम, तुम भी लुटे



एक ही शहर के दो बलशाली कभी आपस में नहीं भिड़ते हैं, वो या तो दोस्त बन जाते हैं या फिर कुछ सीमाएं खींच देते हैं, ताकि लड़ाई की आंच एक-दूसरे पर नहीं पड़े, क्योंकि इन्हें राज करना है तो आपस में नहीं, बल्कि इनसे छोटों को डराना ही इनका धर्म बन जाता है। यह फॉर्मूला आज का नहीं है , बल्कि छोटे से लेकर बड़ा हर कोई इसे अपनाता है, अगर इसमें कहीं भी चूक होती है तो परिणाम दोनों के अस्तित्व को मिटा डालते हैं, ठीक वैसे ही, जैसे दो शेरों को घमासान में एक की चित तो तय है, यही कुछ हुआ, आईपीएल-3 ग्राउंड के बाहर। यहां के दो शेरों ने अपनी आदत के अनुरूप नियमों को तोड़ने की हिमाकत कर डाली, और जब नियम टूटते हैं तो बिजली गिरती है, और यह अपने साथ कई और को निस्तेनाबूद कर डालती है। यही हुआ इस बार भी मिस्टर मोदी और शशि साहब के बीच। इन दोनों के युद्ध ने मोदी को मार डाला वहीं थरूर का गुरुर भी चकनाचूर हो गया। यहां दोनों को अंदाजा भी नहीं था होगा, कि उनकी इस हरकत से बात इतनी बढ़ जाएगी कि दोनों को अपने पदों का त्याग देना नहीं पड़ेगा, बल्कि इन्हें निकाला जाएगा।
अब हैसियत भी गई और हिम्मत भी, दोनों को भुगतना पड़ी शर्मिंदगी, और बेबसी। इनकी हालत पर ये दोनों एक दूसरे को यही कह रहे हैं कि सनम हम भी लुटे और तुम भी लुटे। मगर इन सब के पीछे देखा जाए तो यह पूरा खेल पैसों की पिच पर खेला जा रहा था। मैदान पर तो दिखने में लग रहा था कि चौके-छक्के लग रहे थे, लेकिन अंदर पैसों का खेल शबाब पर चल रहा था, पर कितना भी हो, पाप की गगरी एक न एक दिन अवश्य फूटती है और वही हुआ, सारी चीजे एक-एक कर सामने आती गई और बिगड़े बादशाह को पदच्युत कर दिया गया। अब न तो मोदी है और न ही शशि थरूर है, आईपीएल की बागडोर भी दूसरा कोई संभालेगा, और विदेश राज्यमंत्री का पद भी। दो अलग-अलग प्रतिभाएं और लोग होंगे, जिनके कंधों पर मजबूत और महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी रहने वाली है, तो यहां चिंताजनक एक और बात है कि आखिर आने वाले दो नए लोग क्या वास्तव में उस पद के लायक होंगे। हां, हो सकता वो महत्वपूर्ण भी हों, पर अगर दर्द और टीस तो इस बात की है कि कहीं ये उससे भी अधिक भ्रष्ट निकल गए तो जिसके लिए यह पूरी कार्रवाई हुई वो सब व्यर्थ हो जाएगा, क्योंकि जिस तरह शेर के मुंह में अगर खून लग जाता है तो फिर उसके विचारों को बदला नहीं जा सकता, उसी प्रकार माया का मोह भी लोगों से नहीं छूटता है, और यहां तो दौलत बह रही है, इसे कौन नहीं चाहेगा कि वह अपना बना ले, भई दौलत चीज ही ऐसी है, जो बड़ों-बड़ों के इमान को डिगाने का दम रखती है, अगर यहां भी कुछ ऐसा हुआ तो निश्चय ही आईपीएल या अन्य क्रिकेट की संस्थाओं में अगले कुछ सालों में नए खुलासे होंगे, फर्क यह रहेगा कि चेहरे बदले हुए होंगे, लेकिन चीजें वहीं रहेंगे, दौलत और शोहरत की लूट आज भी हुई और कल जो आएंगे वो भी इसी परंपरा को आगे लेकर जाएंगे। जगत में विरले ही होते हैं जो इस मोहपाश से छूट पाते हैं, इसलिए यहां पर समस्या बहुत विकट है और इसका परमानेंट सॉल्यूशन नहीं खोजा जा रहा है, जो बेहद चिंताजनक साबित होगा, और देश में भ्रष्टाचारों की जमात बढ़ती जाएगी, और इसे कौरव-पांडवों के युद्ध की तरह रोका नहीं जा पाएगा।

1 comment:

  1. bilkul..you are absolutely right....
    waise woh bhi shayad utna galat nahi kar rahe hain...
    paise ki bhuk kise nahi hai...
    shayad hi duniya mein koi aisa insaan ho jise itne saare paise kamane ka mauka mile aur wo na kamaye....
    ummid hai aap bhi mujhse sehmat honge....
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    mere blog par is baar
    तुम कहाँ हो ? ? ?
    jaroor aayein...
    tippani ka intzaar rahega...
    http://i555.blogspot.com/

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