Tuesday, April 6, 2010

सानिया तुम सचमुच चली जाओगी


सानिया तुम सचमुच चली जाओगी
ल्गातार आ रही खबरों से दिल टूट रहा है। जैसे-जैसे सानिया ष्षोएब के साथ नजर आती हैं, मन के उूपर सांप लोट जाता है। आखिर दिल का मामला है, जो भला अपनी सपनों की रानी को किसी और की बाहों में कैसे देख सकते हैं। अभी तक पूरे वाकिये पर निगाह डालें तो सामने आ रहा है, कि सानिया भले ही ष्षोएब की हो रही हैं, लेकिन उनसे मुहब्बत करने वाले तो अपने दिलों का दर्द लिए फिर रहे हैं। पाक से ष्षोएब आ तो गए हैं, लेकिन हर जवां दिल चाहता है कि वे यहां से उनकी महबूबा को न ले जाएं। सानिया तो उन्हें अपना हमसफर मान चुकी हैं, तभी तो किसी की सुन नहीं रही, लेकिन सानिया जी ष्षोएब धोखेबाज है, वह कभी भी तुम्हारी जिंदगी से खिलवाड़ कर सकता है, इस बात का ष्षायद तुम्हें इल्म नहीं है, लेकिन तुमसे मुहब्बत करने वाले तो तुम्हारी फिक्र रखते हैं। अब रही बात ष्षोएब के साथ तुम्हारे खुष रहने की तो यह सिर्फ चार दिनों की चांदनी ही रहने वाला है और फिर वही काली रात। ये ष्षोएब हमारी मुहब्बत को सरहद पार ले जा रहा है, तो आखिर कैसे हम बचाएं। उसे बहुत समझाया, बहुत मनाया, हाथ पकड़कर रोका, लेकिन वो बेवफाई पर उतारू थी, और उसने दिलों पर तलवारें चलाकर कत्लेआम मचाया। तब भी यह दिल है कि मानता नहीं और यह उसे ही प्यार करने में लगा हुआ है। ये कैसी मुहब्बत है समझ नहीं आ रही है, क्योंकि इष्क में तो यह सुना था कि लोग बर्बाद हो जाते हैं, उनका प्यार सलामत रहे और वह खुष रहे, इसके लिए अपनी जिंदगी को जहन्नुम बनाने से भी नहीं कतराते हैं। मगर यहां तो उल्टी गंगा ही बह रही है, यहां तो कैसे भी सानिया को इस ष्षादी को रोकने के लिए तिकड़म हो रहे हैं, मगर बेदर्द सानिया नहीं मान रही हैं। वो तो मलिक के दिल की मालकिन बनी हैं और मलिक को अपने दिल का मालिक बनाएं हैं, इसके आर-पार उन्हें कुछ न तो दिखाई दे रहा है और न ही वे देखना चाहती हैं। इस समय कोई उन्हें कुछ समझाने की कोषिष भी करता है तो वे उसे अपना जानी दुष्मन मान रही हैं। उन्हें लग रहा है कि आखिर क्यों ये सरहदें उनकी मुहब्बत के रास्तें में अंगार बिछाए बैठी हैं। खैर उनका कहना भी जायज है, मगर मैडम यहां आपकी भलाई के लिए सभी बैठे हैं और वो चाह रहे हैं कि आप आपकी पूरी जिंदगी में कभी भी एक आंसू न गिराए, मगर जो रास्ता आपने अख्तियार किया है, उससे यह जान नहीं पड़ता है। इसलिए आप अभी संभल जाओ तो बेहतर होगा, अन्यथा खूब आंसू बहेंगे और फिर कोई कंधा नहीं मिलेगा जिस पर सिर रखकर तुम रो सकोगी।

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