Tuesday, April 19, 2011

हौसलों की सच्ची उड़ान


जब जिंदगी हमें रोकती है, बरगलाती है, और हमसे इंतजा कर कहती है कि आप अब भी सक्षम हैं, लेकिन हम उस पर यकीन नहीं करते हैं। हमें तो लगता है कि हम चुक चुके हैं, और यह हमारे वश की बात नहीं है। अब हमसे नहीं होगा, क्योंकि जिस तरह से हम जीवन को जीते आए हैं, उससे तो यह कार्य असंभव ही जान पड़ता है, लेकिन जीवन में असंभव जैसा कोई शब्द नहीं होता है। यह बात भले ही काल्पनिक और बनी गढ़ी लगे, लेकिन जब उन लोगों को देखता हूं, जिन्होंने अपने हौसले से दुनिया को अपनी राय बदलने पर मजबूर कर दिया है, उसे देखकर तो आप भी जो लकीर की फकीर लेकर बैठे हैं, उसे मिटाने के लिए बेबस हो जाएंगे। कई लोग होते ही हैं इसलिए, जो इतिहास को ऐसा लिख दें कि आने वाली पीढ़ी उनसे पे्ररणा लेती रहे। जिस तरह से हम विश्वास नहीं कर पाते हैं, जब वे वह करके दिखा दे तो फिर हमें भी लगता है कि हम भी कुछ कर सकते हैं। जीवन में मैं भी समझता हूं कि हर चीज की एक उम्र होती है, लेकिन प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती है और वह जहां भी होगी, अपनी धाक जमाने के लिए खड़ी ही रहती है। हां यह हो सकता है कि लोग उसे नजरंदाज कर दें, मगर ज्यादा दिनों तक उसे नहीं कर सकते हैं, क्योंकि उसके सामने ठहरना ही मुश्किल हो जाता है और अंत में लोगों को हार माननी ही पड़ती है। यह कहानी आपको भी एकदम अविश्वसनीय लगेगी, लेकिन यह पूर्णत: सत्य है। आपको रग्बी खेलना है, और उसमें हाथ से अधिक पांवों का इस्तेमाल रहता है। शायद फुटबाल में रोनाल्डो और बैकहम इतने बड़े शिखर पर क्यों खड़े हैं , उसका राज ही यही है कि उनकी मजबूत टांगे। मगर फुटबॉल का यह खिलाड़ी...नाम है बॉबी मार्टिन। इसके पैर नहीं हैं, बचपन से ही, लेकिन यह रग्बी टीम का सदस्य है और पूरे मैदान में दौड़ भी लगाता है। टीम को जीत दिलाने में इसकी बड़ी भूमिका रहती है। कई बार इसके दम पर ही जीत मिलती है। यह अपंग है, फिर भी रग्बी टीम का सदस्य है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई ऐसा कर सकता है। वह कहता है कि मेरे पांवों की शक्ति मेरी बाजुओं में आ गई है, उसकी गर्लफ्रेंड भी है, वह भी 25। उसके एक बेटा और बीवी भी है। शानदार... मैं आपको बता रहा हूं तो आपको यह पूरा वाकिया किसी कल्पना लोक की तरह लग रहा है, क्योंकि यह वहीं संभव हो सकता है, मगर यह एक हकीकत है और यह बता रही है कि दुनिया में कुछ भी संभव नहीं है। हम सबकुछ हासिल कर सकते हैं, बस माद्दा चाहिए। अगर वह नहीं है तो फिर जीवन नर्क है, क्योंकि जो सपने देखता है, वही उसे पूरा करता है। हां, मैं भी जागती आंखों से सपने देखने का शौकीन हूं और उसे पूरा करने का दम भी भरता हूं। बस अब तैयारी शुरू करनी होगी, क्योंकि यह 24 घंटे सिर्फ मेरे हैं और इसमें मैं मेरे लिए ही जिऊंगा, किसी और के लिए नहीं। बस अब सारी तैयारियां शुरू करनी होंगी। सबकुछ अपने अनुसार लाना होगा। मैं भी हौसलों को इतना ऊंचा उठा दूंगा कि वहां से आकाश छू लूं। शायद इसमें कई रोड़े आएंगे, कभी-कभी लगेगा कि यह असंभव है, लेकिन कोई बात नहीं है, क्योंकि जब तक बाधाओं का बवंडर नहीं आएगा, हम तूफानों से खेलना कहां सीखेंगे। आगे मैं जीवन में क्या होने वाला है, यह शायद मैं भी नहीं जानता हूं, मगर इतना तो पता है कि अब मैं मेरी किसमत खुद ही लिखने जा रहा हूं। शायद कुछ गलत भी हो सकता है, लेकिन जीवन में उस मोड़ पर जाकर मुझे कभी पछतावा नहीं होगा, जब मैं कहूंगा कि यार मैं वह कर लेता तो बेहतर होता। इस शब्द को कभी आने नहीं दूंगा। मेहनत करने से हर चीज मिल जाती है, ऐसे मैंने सुना ही नहीं है,बल्कि इसे सच करके दिखाऊंगा, क्योंकि अब मैंने जीवन जीना सीख लिया है, अपने सपने को पर लगा दिए हैं, और तपती धूप हो या तूफानी ठंडी। नहीं रुकूंगा, हर पल जीत के लिए ही खेलूंगा, क्योंकि यह जिंदगी मिले न मिले, अगली बार कुछ हो न हो, इस बार ही सारे सपने पूरे करना चाहता हूं और पूरा करूंगा।

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