Tuesday, April 5, 2011

रेड सिग्नल है राडिया


बड़े-बड़े जब गेम करते हैं , तो वह खेल लंबा ही रहता है, यहां साधारण लोगों का कोई काम नहीं होता है, बल्कि यहां सब वीआईपी रहते हैं। जिनकी कॉलर सफेद दिखती है, लेकिन काली होती है। रेड राडिया और टाइट टाटा में कुछ ऐसा ही हुआ। सभी को लड़कियां देने वाली राडिया बड़ी मालकिन है,और उसके हाथ में बड़ा से बड़ा औद्योगिक घराना है। इन्होंने फोन पर ही सारी सेटिंग करवाकर देश के साथ धोखा किया है। इसने वो कृत्य कर डाले जो एक आम महिला के वश की बात नहीं है। हां, यह पत्रकारों की लॉबी से लेकर बड़े-बड़े नेताओं तक को अपने अंडर में रख रही थी। कहते हैं कि जब महिला अपनी वाली पर आ जाती है तो उससे बड़ा कोई नहीं रहता है। वैसे भी सब पर भारी एक नारी। यहां नारी की महिमा के माध्यम से राडिया का गुणगान करने की कोई मंशा नहीं है, लेकिन उसने जो चक्रव्यूह रच रखा था, वह काफी सशक्त था। हर कोई उसमें कहीं सिर से फंसा था तो कोई पांव से। हां कुछ लोग दूर थे, लेकिन उसके आभामंडल से वो हिल भी नहीं पा रहे थे। मजबूत इरादों वाली राडिया ने रेड कर दिया था, इससे टाटा जैसे टाइट हो गए थे। हालांकि चीजें अपने अनुसार नहीं बदलती है, उन्हें बदलना पड़ता है, और जब तक प्रयास नहीं करेंगे तब तक तो पत्ता भी नहीं हिलता है, हां बस यहां हवा का दम दिखाई देता है, जो कभी तो महसूस भी नहीं होती है, और कभी तो प्रचंड रूप लेकर पहाड़ों तक को उड़ा देती है। मसला यही है कि दाल में नमक के बराबर चीजें अच्छी दिखाई देती हैं, इसके आगे अगर कुछ होता है तो वह नमक दाल को बर्बाद कर देता है और फिर उस खाने को फेंकना पड़ता है, यह बात अलग है कि भूख से बड़ा स्वाद न हो तो हम फिर वह भी खा जाते हैं, क्योंकि जीने के लिए स्वाद काम नहीं आता, बल्कि पेट भरना जरूरी होता है। किसी फिल्म में था कि जब तक जीवन का मोह रखोगे लोग डराएंगे, और जिस दिन मोह तोड़ दोगे, दुनिया तुम्हारी उस्तादी के पैमाने मानेगी। ठीक यही हो रहा था मुंबई-दिल्ली की इन ख्वाबों वाली नगरियों में। यहां बड़े-बड़े दिग्गज दागदार हैं। दुर्दशा दुर्दांत हो गई है, लेकिन इनका दिमाग हर चीज को मात दे देता है, ये गोरे चिट्ठे दिखते हैं, खूबसूरत कपड़े पहनते हैं, खुशबू शानदार आती है, लेकिन दिमाग में सड़ा हुआ सामान रहता है, भ्रष्टाचार के ये परवाने हर किसी को जलाने के लिए तैयार रहते हैें। उन लोगों का भी सौदा करने से नहीं चूकते हैं, जो इनके यार थे। यहां तक की अपनों की कब्र खोदने में भी इन्हें किसी तरह का कोई परहेज नहीं होता है। अंदर से बाहर और बाहर से अंदर तक बहुत चीजें बदल जाती हैं, लेकिन इन बदलावों को हम कई और तरीकों से भी जी सकते हैं। उन्हें नया मुकाम दे सकते हैं, लेकिन यहां तो कोई और नहीं हमारे दिलों में ही साजिश का तूफान पल रहा है, कोई इसे हवा दे दे तो यह आग के शोलों की तरह भड़क जाएगा और देश को नया आम और खास दिला जाएगा। हम यहां बैठे किन-किन चीजों में अपना वक्त निकालते हैं, वहां लोगों के पास वक्त ही नहीं होता है। इस सोच में हम कई बार अपने घंटों बर्बाद कर देते हैं, लेकिन सवाल यह है कि आखिर राडिया ने क्या गुल खिलाए और खिलाए कि सभी मोहित हो गए। मोहन मंत्र में फंसे लोगों को अपने ओहदों की भी शर्म नहीं है, बस ये लोग उसके मायाजाल में अटक गए और आ गए वहीं, जहां से जुर्म का नाम शुरू होता है। खैर यह कोई नई बात नहीं है...क्योंकि जिंदगी अपने आप नहीं जी जाती है, इसके लिए कुछ और करना पड़ता है, सवालों को नए जवाब की तलाश कभी-कभी खुद भी करनी होती है। तब कई बार बाधाएं पहाड़ों से ऊंची हो जाती हैं, लेकिन उन पर पार पाना भी आना चाहिए। नहीं तो फिर ये मुश्किलों का जखीरा खड़ा हो जाता है, और उससे निपटना आसान नहीं होता है। इसलिए राडिया को रेड समझो आसान नहीं है वह...उधर रेड सिग्नल है, और उसमें से निकलना हमेशा जोखिम भरा ही रहता है।

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