Wednesday, February 2, 2011

सपनों की हसीन दुनिया


सपने से हसीन इस दुनिया में कुछ भी नहीं होता है। जिस तरह बंद मुट्ठी लाख की, खुल जाए तो खाक की, उसी तरह जब आंखों में कोई सपना तैर रहा होता है, तो मन काबू में नहीं होता है। दिल दीवाना हो जाता है, और हर वो चीज हमारी हो जाती है, जिसे हम पाना चाहते हैं। हसीन सपना का सौदा इतना सुंदर होता है जैसे हमारी सारी आरजू पूरी हो गई हो। पर जब सपने टूटते हैं, तो और भी ज्यादा दर्द होता है, तब इस दर्द को हम चाहकर भी छुपा नहीं पाते हैं। यह सपना हर किसी के पास होता है। हां, इन्हीं सपनों ने कई बार बड़े-बड़े तूफानों को जर्रे में सपेट दिया है, उन्हें जार-जार कर दिया है और कई बार यही जर्रा तूफान बनकर जिंदगी को उड़ा ले गया। सपनों की इस मरीचिका में रेतीली जमीन ही हाथ आती है, बाकी सबकुछ मिथ्या हो जाता है। अब सपनों का क्या है, कभी-कभी तो यह अभिमान बन जाते हैं, तो कभी-कभी मान को भी मिटा देते हैं। अपने सपने से मशहूर मुंगेरी लाल बदनामों की श्रेणी में हैं, क्योंकि उन्हें सिर्फ सपना ही अच्छा लगता था और वो चलते-चलते सपनों में खो जाते थे। सोच को उन्होंने सपनों का आकार दे दिया था। हाय, वह भी कितना प्यारा चरित्र है, जो हमारी यादों में हमेशा के लिए बस गया। हां यह अलग बात है कि उसके कार्य विपरीत थे, लेकिन इतना तो तय है कि वह सीधे तरीके से जीवन नहीं जीता था और बंद आंखों के सपनों का वह सौदागर नहीं था। हां हम भी सपनों से प्यार करते हैं, क्योंकि इन पर सिर्फ हमारा ही राज चलता है। कई बार अंगड़ाई में लिया सपना, बलखाई कमर जैसा लगता है, तब दिल टकराकर लंगड़ा हो जाता है, ठीक वैसा ही, जैसा दिल बच्चा होता है। वह कितनी भी उम्र पार कर ले, उसे धड़कना, वह भी हसीन चीजों को देखकर नहीं भुलाता है। इन सपनों का क्या कहना, जब ये आते हैं तो दिल बाग-बाग हो जाता है। खुशनसीब होता है ये जहां जिसे सपनों की सौगात मिलती है, और कभी-कभी तो दरख्तों की तरह ये बेवफा हो जाते हैं, दिन-दिन भर नींद को दुहाई देते रहते हैं कि काश कोई प्यारा सपना आ जाए। यह सपना भी डंक मारता रहता है। इसलिए कहें कि सपने महबूबा की तरह होते हैं, जो सिर्फ सताती ही रहती है। यह उससे भी आगे चले जाते हैं, और सुखद को दु:खद में बर्बाद कर देते हंै। जीवन बड़ा कठिन है, और अगर तुम्हारे साथ जिंदगी में सपनों का समागम न हो तो, यह जिंदगी बहुत खर्चीली और खुरदुरी लगने लगती है, तब यह आशिकी के गालों की तरह नहीं, बसके पैरों के तलवों की तरह हो जाती है। जो ठंड में खूब खरकते हैं। इस मौसम में हसीन जिंदगी को अगर जीना है तो सपनों से दोस्ती कर लो, नींद को अपने हक में कर लो, तब देखा जीवन कितना जबरदस्त हो जाएगा। इसमें बचकाना कुछ भी हो, लेकिन चटखारे आ जाएंगे। बस यही तो चाहते हैं कि कहीं कोई दरख्त टूटकर मेरे बहते लहू पर परर्दा तो डाल दे, उस बेवफा की बेवफाई को ढंक दे, क्योंकि वह है तो मेरी आशिकी ही। तब मैं उसे क्यों बदनाम होने दूं, जब भी आएगा इस जुबां पर कोई नाम, साला उसी बेवफा का। उसे क्यों याद करें, जब सपने हसीन हमारे साथ हैं, और हम इन सपनों की जादूगरी सीख जाएं तो सपनों के समुंदर में डुबकी लगाकर मजा आ जाएगा। हम हैरान हैें, परेशान भी, लेकिन जब सपने आएंगे तो हंसी आ जाएगी। उन खुशनसीब चंद पलों को हम पूरी शिद्दत से जी लेंगे तो सारी कायनात हमारे लिए ही बेकरार हो जाएगी। मन में उत्साह और असीम सुख देकर यह सपने जाएंगे, सपनों को सखा बनाने में ही फायदा है, क्योंकि कई बार ये क्रूर भी हो जाते हैं, तब स्थिति बहुत विकट हो जाती है। इसलिए कहने से कुछ नहीं होता, जो भी होता है, वह सपनों में ही होता है। अब आसमान में सपनों को सजाओ, और उन्हें दिल से लगाओ और दुनिया तुम्हारी मुट्ठी में आ जाएगी। जब यह मुट्ठी हमारी रहेगी तो फिर हम ही शहंशाह कहलाएंगे।

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