Wednesday, June 16, 2010

बस इतना सा ख्वाब है



वाह सचिन, वाह! आपने कहा है कि मेरा सपना विश्वकप है, यह बताइए किस भारतवासी का सपना नहीं है कि विश्वकप भारत आए। आखिर तोड़ते भी तो आप लोग ही है। और आपके पास तो इस सपने को सच कर दिखाने का सबसे ज्यादा चांस आए। आप चाहते तो सपना कब का पूरा कर सकते थे, लेकिन हर बार आप हारने के बाद अपने सपने को अगले चार सालों के लिए संजो लेते हैं, और फिर करोड़ों भारतवासियों को दिलासा देते रहते हो। इस बार भी ऐसा ही है, माना कि आपने विश्वकप में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन थोड़ा प्रदर्शन आप और कर देते तो उस दिन हम विश्वकप ही जीत जाते, जो पारी आपने साउथ अफ्रीका के खिलाफ दो सौ रनों की खेली है, वह आप विश्वकप 2003 में आॅस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में खेल जाते तो आज हमारे पास विश्वकप होता। खैर भूली बातों को कुरेदने से कोई फायदा नहीं होता, क्योंकि वह अच्छी हो या बुरी, जख्म गहरे ही होते हैं। और अब जो किया, जिसने किया भूली बिसरी बातें भूल कर हम वर्तमान के इस सपने की बात करते हैं। सचिन आप ने सपना देखा है 2011 विश्वकप का। क्या यह सपना सिर्फ सपना ही न रह जाए। आपने अपनी आधी जिंदगी तो क्रिकेट को दे ही दी, इसमें जहां आपने क्रिकेट को बुलंदी पर पहुंचाया, वहीं आपको भी दर्शकों का भरपूर प्यार मिला। मगर 2011 का सपना क्या पूरा होगा, जिस तरह से हमारे क्रिकेट के दिग्गज कहलाने वाले खिलाड़ी पिद्दियों से हार रहे हैं, उससे तो यह सपना एक बार फिर सपना ही नजर आ रहा है। जिस तरह विश्वकप में हमने हार और जिल्लत झेली है, वह हमारे कप्तान पर भी सवालियां निशान खड़े कर रही है। आखिर क्या किया जाए, क्योंकि दूसरी टीमें अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर जाकर खेल रही हैं , जबकि हमारा कोई स्तर ही नहीं है और हम विश्वविजेता बनने का ख्वाब देखते हैं, आखिर कैसे पूरा होगा यह ख्वाब। न तो हमारे पास कोई ऐसा बल्लेबाज है जो पूरे मैचों में लगातार प्रदर्शन करे और न ही ऐसा कोई गेंदबाज है जो आग उगले। जो टीम है वह महज पांच या दस ओवर खेलने वाली है, वह भी ठीक से नहीं खेल पाती है। 50 ओवर खेलने में हम ढह जाते हैं,तो कैसे विश्वास करें इस सपने पर सचिन जी। माना आप के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि आप तो अपना 101 प्रतिशत देने वाले हैें और विदेशी टीमों के लिए सिरदर्द आप ही रहोगे, लेकिन एक खिलाड़ी के दम पर तो जीत हासिल नहीं होती है, यह भला आप से बेहतर कौन जान सकता है। आप ने एक बार फिर उम्मीदें जगा दी हैं, लेकिन हमारी टीम हमारी उम्मीदों पर कभी खरी नहीं उतरी है, उसने हमेशा हमें निराश ही किया है। हमें हार ही दी है, तो कैसे अपनी उम्मीदों के आसमान को शिखर पर पहुंचाया जाए, क्योंकि वहां पर ले जाने के बाद ये वहीं से हमें छोड़ देते हैं, तब तकलीफ ज्यादा होती है, दर्द बेहद होता है। जीतने का ख्वाब सजाया है तो पूरी हिम्मत के साथ और पूरे समर्पण के साथ खेलना होगा, क्योंकि यह मौका आपके लिए तो शायद आखिरी बार ही होगा, अगर इस बार भी नहीं जीते तो आने वाली पीढ़ियां तरस जाएंगी आपसे विश्वकप जीतने की। इस बार यह खुशी दे दो, खुशी दुगुनी भी हो सकती है, क्योंकि यह क्रिकेट एशिया की सरजमीं पर होने वाला है और फाइनल का कप जिस दिन उठेगा, वह भारत में ही उठेगा तो क्यों इसे हम बाहर जाने दें, जब हमारे घर में ही हम शेर न हो, तो मतलब क्या क्रिकेट खेलने का। इस बार तो किसी भी हालत में हमें जीतना है, ताकि दुनिया का भ्रम तोड़ दें कि हम तुक्के में कभी नहीं जीतते हैं और साथ ही यह भी बता दें कि हम कागजों के शेर नहीं है, जब मैदान में उतरते हैं तो विश्वविजेता बनकर ही आते है। सचिन यह सपना पूरा करवा दो, क्योंकि यह सपना तुम्हारा नहीं है, बल्कि हम सभी भारतवासियों का है, अगर यह ख्वाब पूरा करवा दिया तो तुम क्रिकेट के सच्चे भगवान कहलाओगे।

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