Wednesday, October 6, 2010
‘सोना’ से शान भी और सुकून भी
हर पीली चीज सोना नहीं होती, लेकिन उसका भ्रम जरूर करा देती है। रास्ते में कभी कोई सोने जैसी चीज दिखती है, तो कुछ पलों के लिए वह सोना लगता है, यह अलग बात है कि हमारी नियत कैसी है, जिस पर हमारा अवलोकन होता है...यह तो सब आई गई बात है, मुद्दा तो यह है कि हम पर सोना मेहरबान है, जी हम तो सोने वाले सोने की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि सोने वाले सोने की बात कर रहे हैं...आप भी सोच रहे होंगे कि क्या बकवास कर रहा है, सोना तो एक ही है, जो हमें पीला दिखाई देता है। हम उसे गले में पहनते हैं, और हमारे पलवान खूब सोना कर रहे हैं। मगर हमें तो दूसरा सोना पसंद है, हमें तो सोने में खूब सुकून मिलता है, वह सुकून जो किसी और चीज में आता ही नहीं। हमें भी वह सोना चाहिए और आपको भी वह सोना चाहिए। बाजार सोना उगल रहा है, उसमें उछाल भी खूब आ रही है, लेकिन हमारी जिंदगी की शुरुआत ही सोने से होती है, हमारे जीवन का तो सबसे बहुमूल्य ही है सोना। इसके बिना तो हम चल नहीं सकते। हां भला है, शृंगार है सोना, महिला का सरस और उसका दिल है सोना। उसका अरमान है सोना, जिंदगी से प्यारा है सोना। हर पहलवान जान लड़ा रहा है, लेकिन हमें तो घर में ही मिलता है सोना। खाने के बाद जो सोना मिलता है, उसके तो क्या कहने। ये पहलवान न जाने कितने प्रयास करते हैं, दिन-रात मेहनत करते हैं, मिट्टी झोंकते हैं, शूटर दिनभर रातभर आंखें दुखाते हैं, फिर जाकर कहीं इन्हें नसीब होता है सोना। जो सोना इनके पास है, वह इन्हें नसीब नहीं होता, लेकिन ये दूसरे सोने के पीछे जरूर पड़े रहते हैं। आखिर वह कहावत भी तो सही है हमें दूसरे की थाली का खाना ज्यादा अच्छा लगता है, उसकी थाली में कम खाना हो तब भी हमारी चाहत उसे पाने की होती है। ये लोग भी इससे अलग कैसे हो सकते हैं, हर कोई चाह रहा है कि हां हमें मिले सोना। पूरा देश विदेश...यहां तक की सात-सात फीट वाले गोरे रंग के ये विदेशी भी उसकी चाहत सात समुंदर पार से लेकर आए हैं, इनमें से कुछ को मिला है, कुछ को मिलेगा और कुछ के दिल भी टूट जाएंगे। हमारे यहां भी कुछ ऐसा ही होने वाला है, किसी की झोली में आएगा तो कोई चांदी से ही संतुष्ट रहेगा। मगर चांदी क्या चीज है...क्योंकि सोने की बात ही अलग है। हाय हाय सोना...शादियों से लेकर बारातों तक...त्योहारों से लेकर उत्सवों तक हर जगह तो चाहिए सोना। काश! हमें भी मिल जाए और हमारों वालों को भी मिल जाए...वाह-वाह...सोना सोना...हर कोई इस सोने के पीछे पड़ा है। नई दुल्हनें तो इसका बिना चलती ही नहीं। और हम हैं कि हमारे पास बिना तकलीफ के ही आ जाता है सोना। सोना माथे की शान होता है, लेकिन सोना शहंशाह भी बना देता है और अधिक सोना भोंदू भी बना देता है। तो हम तो आसानी से सोना आसानी से मिल जाता है। हमें भी तो सोना चाहिए...तुम्हें भी तो सोना चाहिए। हां आप भी सही कह रहे हो और हम भी...भई ये सोना ही तो जरूरी है, हम इसके लिए न बिस्तर देखते हैं, न जमीन। बस इसे लूटने में लग जाते हैं। और आप हैं कि इस सोने के लिए आप न जाने कितनों का खून बहा देते हैें। वहां तक तो ठीक है जब आप सोने के लिए मेहनत करते हैं, लेकिन सोने के लिए जब लाल खून बहता है तो फिर सोने का कोई अर्थ नहीं हो जाता है। सोना ...सोना...सोना...कितना चाहिए। चिंता और फिक्र के धुएं को उतारकर रख दो... फिर देखो इतना सोना मिलेगा कि दिल भर जाएगा। फिर बोलोगे कि सोना कितना सोना है..., कितना सोना है... कितना चाहिए और कितना मिलेगा, बस यह तो नियती और चाहत पर निर्भर करता है।
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सही कहा आपने।
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