Tuesday, October 5, 2010

साधारण जीत को भी रोमांचक बना दी


अगर दुनिया में एक्साइटमेंट पैदा करना है तो या तो उन्हें हंसा दो , या रुला दो या फिर डरा दो...। अगर यह तीनों नहीं कर पाए तो असाधारण भी साधारण बनने में देर नहीं लगती है। दुनिया में बड़े लोगों को जाना क्यों जाता है, क्योंकि उन्होंने साधारण कार्य को भी असाधारण तरीके से अंजाम दिया है। उन्होंने गरीबी होने के बावजूद उसका प्रकट करने का पाप नहीं किया है, क्योंकि वह उससे भी शर्मनाक होता है। जिंदगी को जुए की तरह माना है, इसमें हर बाजी को जीतने के लिए बाजीगर बनना पड़ता है, अगर वह जिंदादिली नहीं दिखाई तो फिर इस भंवर में आप कहां समा जाते हो कोई नहीं जानता। खाते तो सभी हैं, लेकिन खाने का तरीका यूनिक जिसका होता है, उसे ही जाना जाता है। सोते तो सभी हैं, लेकिन जिन्हें जागने का शौक होता है, वे ही पहचाने जाते हैं, जागते तो मूर्ख हैं, लेकिन उनका जीवन तो व्यर्थ ही हो जाता है। जिंदगी की वैतरणी को अगर पार लगाना है, तो आपको आगे आना होगा । आपको दूसरों से बेहतर करना होगा। बाजार में मारा-मारी मची हुई है, हर कोई मैदान मारने के लिए तैयार है, नजर हटी और आपको कहां फेंक दिया जाएगा कोई नहीं जानता है। आज भी वही हुआ, हुआ यह कि हम जीत गए...हालांकि इस जीत को हम बहुत हल्के से भी कर सकते थे, लेकिन जहां इंडिया और उसका क्रिकेट है, फिर तो भावनाओं का सैलाब पटरी पर एक्सप्रेस बनकर दौड़ता है। जुनून जिंदगी से बढ़कर हो जाता है। और यहां वही हुआ। टीम आसानी से जीत सकती थी, लेकिन उस आसान जीत को हमने बना दिया टिपिकल...और ऐसा हुआ भी...। कंगारू बौखला गए और उन्होंने टीम इंडिया का जीना मुहाल कर दिया। एक-एक गेंद पर आग बरस रही थी, मैदान पर शेर दिखने वाले हमारे दिग्गज कागजों से मुरझाए नजर आ रहे थे। टीम इंडिया के सबसे कातिल बल्लेबाज जो गेंदों को मौत के घाट उतारते हैं, वो तो बिलकुल लापरवाह दिखे, लापरवाही की हद उस समय हो गई, जब टीम इंडिया संकट में नजर आ रही थी। एक के बाद एक विकेट गिरता जा रहा था, लेकिन बिगड़े नवाब थे कि सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे थे। उन्होंने अपने उसी लापरवाह वाले अंदाज में शॉट खेला और कंगारूओं द्वारा जप लिए गए। इसके बाद तो न रैना ने रनों की बरसात चली और न ही टीम इंडिया का गौरव बढ़ा। हर कोईअपने ही अंदाज में जी रहा था, चल रहा था, लेकिन परिस्थितियां विपरीत थीं और वह सचिन से काफी उम्मीदें भी थीं, मगर उम्मीद का दामन टूटा नहीं, सचिन से आस थी, पर क्रिकेट का यह पितामह हर बार तो विरोधियों पर भारी नहीं पड़ सकता था, इस बार कंगारूओं की चली और उन्होंने सचिन को अपना बना लिया। सचिन के आउट होने के बाद लगा कि टीम इंडिया फिर बिखर गई और हार हमारी पक्की है, लेकिन एक ऐसा गेंदबाज, जिसके सितारे एकाएक बुलंदी पर आ गए थे, वह इशांत शर्मा ...गेंदबाजी में अपना जौहर दिखाकर कंगारूओं की कमर तोड़ने के बाद अब वह बल्लेबाजी में भी अपना हुनर दिखाने को बेताब थे, और उनका यह हुनर ऐसे मौके पर आया, जब टीम को जरूरत थी कि कोई खड़ा होकर टीम की न सिर्फ लाज बचा पाए, बल्कि उसे जीत के मुंहाने तक भी पहुंचा दे। आखिर हुआ भी वही और उसने अपने बल्ले के दम पर खूब छकाया, उसने खूब परीक्षा ली और एक समय तो कंगारूओं को हताश ही कर दिया था। हार का गम पंगेबाज पॉटिंग के चेहरे पर साफ नजर आ रहा था, लेकिन एक गलत निर्णय के वे फिर शिकार हो गए, लेकिन लक्ष्मण थे मैदान पर और उन्होंने तो सीखा ही नहीं था कि युद्ध को बीच में ही छोड़कर जाया जाए। अंतिम दम तक वो लड़ते रहे और अपनी टीम को जीत दिलाकर ही लौटे। जीत भी ऐसी थी , रोमांच से भरी हुई। कब क्या हो जाता हर गेंद पर दर्शकों के लिए मनोरंजन चल रहा था।

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