Tuesday, July 26, 2011

अंग्रेजों के हाथों आएंगे ताज गवाकर


धोनी ने जिस अंदाज में आगाज किया है, अब अंजाम तक वह नहीं पहुंच पा रहा है। विश्व का एकमात्र कप्तान जिसने ट्वेंटी-20 के साथ विश्वकप अपने हाथ में उठाया है, आज उसकी टीम का हालात बुरे हैं। इंग्लैंड में टीम इंडिया का प्रदर्शन लचर रहा। जिस अंदाज में हमने बल्लेबाजी की है, उससे तो लगता ही नहीं कि एक विश्व चैंपियन टीम खेल रही हो। यह वही टीम है, जो पिछले एक साल से टेस्ट क्रिकेट की बादशाहत कर रही है, लेकिन इंग्लैंड में जाते ही उसकी कमजोरियां सामने आने लगी। वह अपना बेहतर खेल नहीं दिखा पा रही है। सचिन हो या फिर लक्ष्मण...कोई भी अपने खेल के अनुरूप खेल नहीं रहा है। हां, सहवाग की कमी जरूर अखर रही है, लेकिन बाकी खिलाड़ी क्या कर रहे हैं। सिवाय राहुल द्रविड़ के कोई भी बल्लेबाज अंगे्रेजों के आगे टिक नहीं पा रहा है। आखिर विश्व चैंपियन को हो क्या गया है। माना अभी दौरा बहुत बड़ा है, और आगे मौके मिलेंगे, लेकिन भारत की हार तो तभी तय हो गई थी, जब उसने प्रैक्टिस मैच में शिकस्त झेली थी। हां, उम्मीद थी कि शायद पहले टेस्ट में बेहतर करेंगे, लेकिन एक बार फिर विदेशी पिचों की वही कहानी फिर सामने आ गई। हम घर के शेर हैं,और बाहर कचरे का ढेर हैं, कोई भी हम पर भारी पड़ जाता है। अगर हम पांचवें दिन बेहतर खेलते तो शायद मैच बचा सकते थे, हमारे पास नौ विकेट थे और कोई भी बल्लेबाज विकेट पर टिककर नहीं खेल पाया। खुद कप्तान धोनी की बल्लेबाजी पर एक प्रश्नचिह्न खड़ा हो रहा है। धोनी के धुरंधर भी धुआं हो रहे हैं और खुद माही भी अपने अंदाज में नहीं खेल पा रहे हैं। अगर धोनी की बैटिंग देखी जाए तो विश्वकप फाइनल को अगर छोड़ दिया जाए तो पिछले कई मैचों से उनका यही प्रदर्शन है। और अगर यही स्टाइल उनका खेलने का रहा तो वह दिन दूर नहीं, जब भारतीय टीम फिर से पांचवें और छठे स्थान पर आ जाएगी। इसमें कोई शक नहीं है,कि आॅस्टेÑलिया और साउथ अफ्रीका जैसी टीमों से नंबर एक का ताज छीनकर भारत ने अपने खेल की धाक पूरे क्रिकेट जगत में जमाई है, लेकिन यह धाक सिर्फ एक या दो साल की ही दिखाई दे रही है। आखिर क्यों हम दुनिया का ताज सालों साल कंगारूओं की तरह नहीं रख पा रहे हैं। अगर अंग्रेजों ने हमारा ताज छीना तो निश्चय ही भारत की एक बार फिर खिल्ली उड़ जाएगी। भारत को यह नहीं भूलना चाहिए कि ये वही अंग्रेज हैं, जिन्होंने भारत पर सालों राज किया है,अब उनके खेल में उनको ही हरा कर हम उनके मुंह पर तमाचा मार सकते हैं। हम उन्हें बता सकते हैं कि मेहनत अगर की जाए तो हम उन्हें उनके घर में ही मार सकते हैं। अभी हमें अपनी क्षमता के अनुसार खेलना पड़ेगा। टीम इंडिया को कुछ कड़े फैसले लेने होंंगे और खासबात यह है कि जो फीट है, वही खेले, भले ही वह कितना अच्छा गेंदबाज हो या फिर कितना ही अच्छा बल्लेबाज। पुराने प्रदर्शन या फिर कद के हिसाब से खिलाड़ी को महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। फिलहाल तो टीम इंडिया को सरताज बनाने के लिए धोनी को एक बार फिर अपने लड़ाकों में मंत्र फूंकना पड़ेगा। अगर वो ऐसा करने में कामयाब हो गए तो फिॅर हमारा ताज सलामत रहेगा। हां, अभी इज्जत बचाने का मौका है, टीम इंडिया को कोई भी ढिलाई नहीं बरतना चाहिए, क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही सालों की मेहनत पर पानी फेर सकती है,और अगर एक बार यह ताज हमारे पास से गया तो फिर दोबारा इसे पाने में न जाने कितने साल लग जाएंगे। अभी एक टेस्ट तो हम हार चुके हैं, जितने भी टेस्ट बचे हैं, हमें उनमें ही कमाल करना होगा। टीम इंडिया को अपनी ताकत नहीं बल्कि शक्ति के साथ खेलना होगा। हमें वह पुरानी लय वापस लानी होगी, जो हमने विश्वकप के दौरान दिखाई थी। सचिन से लेकर सारे सीनियर खिलाड़ी और युवा चेहरों को जमकर खेलना होगा। विकेट पर टिकने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दिखाना होगा। अब अगर यह करिश्मा करने में हम कामयाब हो गए तो फिर हम अंगे्रेजों को फिर उन्हीं की धरती पर धूल चटा देंगे। और वह जीत का जश्न बहुत यादगार रहेगा। अब वक्त है, रणनीति बनाने का, इंग्लैंड के गेंदबाजों का सामना करने का, उन्हें निपटाने का। इसमें धोनी की बहुत बड़ी भूमिका है, और वही रीढ़ की हड्डी हैं, वही उन्हें अपना खेल का स्तर भी सुधारना होगा, क्योेंकि वह नहीं सुधरा तो मामला थोड़ा गंभीर हो जाएगा। टीम इंडिया को कुछ बेहतर करना होगा, कुछ नए प्रयोग करने होंगे। ये धरती पुत्र धोनी...तुमसे कुछ मांग रही है, इस धरती का कर्ज तुम्हारे कंधों पर है, इसे जीतकर उतार दो। सिर्फ हम जीत मांग रहे हैं, और हमें कुछ नहीं चाहिए, बाकी हमारे दिलों के बादशाह तो आप हैं ही, और आप अगर जीतकर आए तो यह देश आपका शान से स्वागत करने को तैयार है।

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