सावन की रिमझिम फूहार, मयूरी मन में चली ये बयार
क्यो न आज सावन को जिया जाए, बरसती बूंदों का मजा लिया जाय
बूंदों की साजिश में, मन ने की गुजारिश
क्यों न इस मतवाली पवन में कुछ देर के बूंदों को मुट्ठी में कैद किया जाए
मौसम की रूमानियत देखकर मन उमंगी हो गया
सावनी दिल मचल उठा ,आज dosto के sath barish में बचपन की मस्ती की जाए फिर क्या था, पहनी हाफ नेक्कर और लिए आठाने -बाराने की चिल्लर और कूद पड़े तलईया me . laga aaj sawan me bachpan ji liye .......
No comments:
Post a Comment