Thursday, November 18, 2010

महत्वकांक्षी इंदिरा, त्यागशील सोनिया


देश आजाद हुए लगभग तीन दशक हो चुके थे, जो उतार चढ़ाव आजादी के पहले आए थे और उसके बाद वो कम होने लगे थे, लेकिन सत्ता का मद तब भी परवान पर था। इसका मोह नहीं छूट रहा था। महत्वकांक्षा की चाहत आसमान पर थी और पांव जमीन पर रहे, इसके लिए दूसरों के हाथों को बांधा जा रहा था। इतिहास चाहे जो भी रहा हो, लेकिन गुड़िया अब बड़ी हो गई थी। अब वह कठोर भी थी और अपने निर्णयों से दूसरों को पानी भी पिला सकती थी। उसने सादगी से शुरुआत की तो आक्रामक तेवर तैयार किए। फिर उसने उन्हें भी सबक सिखाया जो उसके दल में ही रहकर दलदल बना रहे थे, जब लगा की ये उन्हें ही डुबो देंगे तो फिर उसने वह कदम उठाया, जो अब तक के इतिहास में आज तक नहीं हुआ। हालांकि मुद्दे पर नजर डाले तो इमरजेंसी के कारण क्या था यह मायाजाल है। इमरजेंसी का डेÑगन ने जहां 18 महीने लोगों को डराते रहा, वहीं इंदिरा को भी ऐतिहासिक हार मिली। उस समय उनके तर्क यह थे कि सांप्रदायिक ताकतें एक हो रही थीं, ऐसे में उनके सामने यह एक आॅप्शन था। अगर वह ऐसा न करते तो देश में विद्रोह हो जाता। अंगुली उठाने वालों ने खूब अंगुली उठाई, विरोधियों ने इमरजेंसी को भयानक बताते हुए जनाधार अपने पक्ष में लिया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब इंदिर का अहसास हुआ कि इमरजेंसी लगाकर कहीं न कहीं लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ हो रहा है, या संजय के कुछ कार्यों के कारण लोकतंत्र बदनाम हुआ है तो उन्होंने चुनाव की घोषणा कर दी। चुनाव की यह चुनौती दोनों पक्षों के सामने थी। हर कोई इसे भुनाना चाहता था। इंदिरा भी मैदान में थी और विरोधी भी। इस बार उन्होंने इंदिरा को हरा दिया। पूरी सत्ता को कब्जे में ले लिया। लेकिन विरोध जताना तो आसान होता है, देश चलाना उतना ही पेचिदगी भरा होता है, इसमें वो नाकाम हो गए , 13 महीने ही सरकार चला पाए, इसके बाद गिर गए। फिर सत्ता में आई कांग्रेस। उसने देश को एक नया जनाधार दिया। लोगों ने पूरी शिद्दत से इंदिरा की गरीबी हटाओ और कई चीजों पर बेहतरीन रिस्पॉस दिया। इसी बीच पंजाब में एक ऐसी अनहोनी हो गई , जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था। वहां सिख समुदाय पूरी तरह से भड़क उठा था। इस पर मजबूत इरादों वाली इंदिरा ने आॅपरेशन ब्लू स्टार चलाया। इस ब्लू स्टार आॅपरेशन ने तीन दिनों के भीतर वहां से अशांति को दूर किया। हालांकि इस दौरान कुछ सिखो को उन्होंने रुसवा कर दिया। यह लगातार जारी रहा। इसके बाद उन्होंने उनसे माफी भी मांगी, लेकिन दर्द दिल में दबाए बैठे थे, और कहते हैं कि जहां दुश्मन कुछ नहीं कर पाता है, वहां विश्वास को घात फुसलाकर उसे अपने में मिला लेता है और वहां से जन्म होता है विश्वासघात का। उन्होंने अपने अंगरक्षक में सिख को रख रखा था। उन्हें उनके सलाहकारों ने चेताया भी था कि अभी सिख उनके विरोध में हैं, इसलिए हटा दो उसे...लेकिन विश्वास को उन्होंने अतिविश्वास में परिवर्तित कर दिया और फिर इंदिरा को तड़ातड़ उसी सिख ने गोली मार दी, जिस पर उनकी सुरक्षा का दारोमदार था। उन्होंने इंदिरा को मार दिया, लेकिन उनकी शहादत को न रोक पाए। इसके बाद तो कांग्रेस में राजीव गांधी ने नेतृत्व संभाला, लेकिन उनकी हत्या के बाद कांग्रेस टूट गई थी। उनकी सत्ता नरसिंहा राव को मिली थी। नरसिम्हा राव ने किसी तरह पांच साल सरकार तो चलाई, लेकिन मिलीजुली। अब क्या था...उनके परिवार से फिर आई सोनिया गांधी। जो एक आदर्श साबित हो गई, जहां इंदिरा में महत्वाकांक्षा दिखी वहीं सोनिया त्याग और आदर्श की मूर्ति कहलाई। अब वो पूरे देश को संभाल रही हैं और विरोधी कितने भी भद्दे बयान दे दें, लेकिन वह तो आदर्श हैं और उनका कद भी आज बहुत बड़ा है।

Wednesday, November 3, 2010

अब यह बिगबॉस है...



हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी, जिसको भी देखना है बार-बार देखो
...निश्चय ही निदा फाजली की यह पंक्तियां अगर किसी पर सटिक बैठती हैं, तो वह एक ही शख्स है। जिसका अंदाज और अल्हड़ है, वह किसी बात की फिक्र नहीं करता। न तो उसकी लाइफ में एक्शन रीप्ले है और न ही कोई गोलमाल...। पूरी जिंदगी में अभी तक वह अकेला ही चलता आया है। पथरीली डगर से कई बार गाड़ी का बैलेंस भी बिगड़ा है और कई बार वह बेपटरी भी हुई है। अंधेरों में भी जिंदगी आई है और रोशनी खुशियां बनकर भी इसके हंसी में दिखाई दी हैं। न जीवन की फिक्र और न ही अफसोस का कोई मायाजाल है इसकी जिंदगी में। आंखों में मासूमियता, माशाअल्लाह क्या चेहरा, और दबंग बदन...इस पर ही लोग कायल है। खुदा ने बड़ी फुर्सत से बनाया है इस कुंवारे हैंडसम को। कभी कभी तो इसका मन करता था तो सड़कों पर रिक्शा चलाने रात में पहुंच जाता था। पिता की विरासत और सल्तनत इसे ख्वाहिशों के रूप में मिली। बचपन तो चांदी के चम्मच लेकर ही बीता। बड़े हुए तो बीवी हो में अपना गुड लुकिंग फेस सभी के सामने लेकर आ गए। इसके बाद तो इन्होंने कहा मैंने प्यार किया। इनका यह बोलना हुआ कि लोगों ने इन्हें दिलों में बैठा लिया। लड़कियां तो इनकी दीवानी हो गईं। सल्लू मियां यहीं कम न थे, प्यार करने के बाद इनको सनम से बेवफा भी मिली, लेकिन इसमें कौन बेवफा था, ये या वो...यह थोड़ा समझ नहीं आ रहा था। अभी तक कुंवारे ही थे, तो उस अलबेली उमर में प्यार तो लाजमी था, और ये भी इस मोहजाल में फंस गए। कुछ दिन तक इनका रोमांस हुआ, इसमें कभी इन्होंने बाजी मारी तो कभी वह इनका दिल तोड़कर चली गई। फिर ये न हंस पा रहे थे और न ही रो पा रहे थे। इनका अंदाज अपना अपना ही हो गया था। खैर यहां के आगे चले तो इन्हें फिर इश्क हो गया। इन्होंने सनम को दिल दे दिया। सनम ने भी इनका हाथ कसकर पकड़ लिया था। सालों उसने पकड़े रहा। फिर इन्हें इश्क नहीं हुआ। इस दौरान इन्होंने कई फिल्मों में अपना जलवा दिखाया। कभी सनम के ये हुए तो कभी सनम तुम्हारे ही हुए। इन्हें कई बार गर्व हुआ। फिर हर दिल जो प्यार किया और न जाने इन्होंने बॉलीवुड के गुलशन को गुलजार किया। कभी प्लेबॉय बने तो कभी हैंडसम। सांवरिया भी बने ये किसी के और इन्होंने दिल भी तोड़ा। इस स्क्रीन की जिंदगी से अलग इनके जीवन में कई रुकावटें पहाड़ बनकर आईं। हम साथ-साथ रहने का इन्होंने फैसला किया तो इनकी गोली से एक चिंकारा की जान चली गई , जान क्या गई, समझो इनकी शामत ही आ गई। उसी के चक्कर में कई बार इन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी। मगर किसमत अभी और कई खेल दिखाने वाली थी, जो यहां नहीं रुक रही थी। जिंदगी इनकी इतनी बेबस हो गई थी, महबूबा ने भी इन्हें धोखा दे दिया था...ऐसे में जिंदगी से इन्होंने तौबा कर उसकी बेवफाई के आगे हार चुके थे। इन्हें खुद की ही सुध नहीं थी। मोहब्बत का मारा यह दिवाना...ने अपने होठों से नई मुहब्बत का दामन थामा। मगर यह मुहब्बत इस बार इसे कहीं और पहुंचाने वाली थी, शराब से इन्होंने नया इश्क फरमाया और हाल-ए-दर्द निकलकर सामने आ गया। इस शराब ने इन पर ऐसा रौब झाड़ा कि यह सबकुछ भूल ही गए और सड़कों से टकरा कर कई जिंदगियों को घायल कर दिया। अब तो हर कोई इन्हें वांटेड कहने लगा। ये खलनायक बन गए। सनक की बेवफाई से इतने बेबस हो गए कि लग रहा था खुद को संभाल ही नहीं पाएंगे, लेकिन वक्त ने करवट बदली, फिजा ने इनका साथ दिया और दोबारा इन्होंने अपनी गाड़ी को पटरी पर लेकर आ गए। फिर यह तेरे नाम जिंदगी ही कर दी। एक के बाद एक इन्होंने अपनी गलतियां सुधारी। बकायदा सबके सामने इन्होंने कहा कि मैंने प्यार क्यों किया। फिर इसके जीवन में एक और परी आ गई, इसके आने से इस हैंडसम की जिंदगी पूरी तरह से बदल रही थी। इसने बॉलीवुड का दबंग बनने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब यह बॉलीवुड का बिगबॉस है...।